लगातार पांच दिन की गिरावट के बाद शेयर बाजार में आई तेजी
शेयर बाजार में पांच दिनों की भारी गिरावट के बाद सोमवार सुबह तेजी देखने को मिली। निवेशकों को ‘गिरावट पर खरीदारी’ की रणनीति अपनाई। साथ ही ग्लोबल मार्केट में भी तेजी का रुख दिखा। ब्लू-चिप शेयरों में भी अच्छी खरीदारी हुई है। इसके चलते शुरुआती कारोबार में ही सेंसेक्स और निफ्टी एक फीसदी से ज्यादा उछल गए। आइए जानते हैं कि किन वजहों से शेयर मार्केट में तेजी आई है। हालांकि, फिर मुनाफवसूली के चलते इसमें थोड़ा करेक्शन हुआ। आइए जानते हैं कि किन वजहों से शेयर मार्केट में तेजी आई है।
गिरावट में खरीदारी की रणनीति
पिछले पांच दिनों से शेयर मार्केट में गिरावट के चलते कई अच्छे स्टॉक का वैल्यूएशन का काफी कम हो गया था। इसका फायदा उठाने के लिए निवेशकों ने Buy in Dip यानी गिरावट में खरीदारी की रणनीति अपनाई। इससे शेयर बाजार में तेजी आई है।
ग्लोबल मार्केट में तेजी का रुख
आज एशियाई बाजारों में अच्छी तेजी देखने को मिल रही है। सियोल, टोक्यो, शंघाई और हांगकांग हरे निशान में कारोबार कर रहे थे। शुक्रवार को वॉल स्ट्रीट यानी अमेरिकी शेयर बाजार बढ़त के साथ बंद हुआ था। इन सबका असर आज भारतीय बाजार पर दिख रहा है।
ब्लू चिप शेयरों में खरीदारी
आज ब्लू चिप शेयरों में भी अच्छी तेजी देखने को मिल रही है। 30 ब्लू-चिप शेयरों में बजाज फाइनेंस, HDFC बैंक, ITC, ICICI बैंक, भारती एयरटेल, टाटा स्टील, रिलायंस इंडस्ट्रीज और एक्सिस बैंक सबसे अधिक उछाल दिखा। इनमें पिछले कुछ दिनों से गिरावट देखने को मिल रही थी।
क्या है एक्सपर्ट की राय
मेहता इक्विटीज लिमिटेड के सीनियर वीपी (रिसर्च) प्रशांत तापसे का कहना है कि पिछले हफ्ते की बिकवाली के बाद आज निफ्टी में राहत भरी तेजी देखी जा रही है। हालांकि, एफआईआई का रुख अभी भी साफ नहीं है। अगर उनकी बिकवाली जारी रहती है, तो बाजार में अभी उतार-चढ़ाव बना रहेगा।
वहीं, जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, “निकट अवधि में बाजार में उछाल आएगा। इससे एफआईआई फिर से बिकवाली तेज कर सकते हैं। बाजार में टिकाऊ तेजी तभी देखने को मिलेगी, जब इकोनॉमी में सुधार का ठोस संकेत मिले। इसकी शुरुआत नए साल से होने की उम्मीद है।’
रुपये का क्या है हाल
शेयर बाजार में अच्छी तेजी के बावजूद रुपया अपने ऑल-टाइम लो-लेवल से उबरने में नाकाम रहा। यह सोमवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.04 पर स्थिर रहा। इसकी वजह अमेरिकी करेंसी में मजबूती और विदेशी फंडों की लगातार बिकवाली है।
विदेशी मुद्रा व्यापारियों का कहना है कि भू-राजनीतिक अस्थिर बना हुआ है। इससे कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आई है और डॉलर की मांग बढ़ी है। इसके चलते रुपया कमजोर रहा। हालांकि, घरेलू इक्विटी बाजारों में तेजी से रुपये को सहारा मिला रहा और इसमें ज्यादा गिरावट नहीं आई।