अफगानिस्तान में तालिबान ने महिलाओं की नर्सिंग की ट्रेनिंग पर लगाई रोक, पढ़ें पूरी खबर…

अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत लौटने के बाद से महिलाओं की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। देश में महिलाओं के लिए पढ़ाई करने से लेकर सार्वजनिक स्थलों पर बात करने तक पर रोक है। अब तालिबान ने एक और तुगलकी फरमान जारी किया है। नए नियमों के तहत अफगानिस्तान की महिलाएं नर्सिंग की ट्रेनिंग नहीं कर सकेंगी। इसे अफगानी महिलाओं की आजादी की ताबूत पर आखिरी कील माना जा रहा है। मेडिकल फील्ड देश की महिलाओं के पास बचे आखिरी विकल्पों में से एक था।

इनसे जुड़ी प्रशिक्षण ले रही महिलाओं ने कहा है कि उन्हें कक्षाओं में वापस न आने का आदेश दिया गया था। अफगानिस्तान के संस्थानों ने भी इसकी पुष्टि की है। संस्थानों का कहना है कि तालिबान ने उन्हें अगली सूचना तक बंद करने का आदेश दिया है। हालांकि तालिबान सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस पर कोई प्रतिक्रिया जारी नहीं की है। देश में स्वास्थ्य संकट के बीच तालिबान का यह कदम कई सवाल खड़े कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने 2023 में कहा था कि देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए अफ़गानिस्तान को अतिरिक्त 18,000 नर्सों की जरूरत है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अफगानिस्तान में मृत्यु दर दुनिया में सबसे खराब है, जहां प्रति 1 लाख जन्म पर 620 महिलाओं की मौत हो जाती है।

देश में 2021 में तालिबानी हुकूमत के लौटने के बाद से किशोर लड़कियों की पढ़ाई पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। तालिबान ने वादा किया था कि पाठ्यक्रम को इस्लामिक बनाने के बाद वे इसकी इजाजत देंगे हालांकि यह अब तक नहीं हो सका। अफगानी महिलाओं के लिए यह आखिरी विकल्पों में से एक था क्योंकि देश में पुरुष डॉक्टरों को तब तक महिलाओं का इलाज करने की इजाजत नहीं है जब तक कि कोई पुरुष अभिभावक मौजूद न हो। ऐसे में महिला नर्सों की मौजूदगी अनिवार्य थी।

देश की एक स्वतंत्र सैटेलाइट टेलीविजन चैनल अमू टीवी ने ट्रेनिंग ले रही कुछ महिलाओं से बात की। इस दौरान दाई का काम सीख रही 22 साल की एक युवती ने कहा, “मैं कानून की पढ़ाई करना चाहती थी और अपने देश में जज या वकील बनना चाहती थी लेकिन जब स्कूल और विश्वविद्यालय बंद हो गए तो मैंने दाई का काम करना शुरू कर दिया। अब उन्होंने यह भी छीन लिया है। मैं अपनी आंखों के सामने अपने सपनों को मरते हुए देख रही हूं।

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