नोएडा में 50 साल तक नहीं लगेगा जाम, दिल्ली से बेहतर होगी कनेक्टिविटी
नोएडा, 4 जिलों के यातायात को जाम मुक्त बनाने के लिए रीजनल कांप्रेहेंसिव मोबिलिटी प्लान (सीएपमी) लागू किया जाना है। ये प्लान नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना विकास (गौतमबुद्धनगर) गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर के यातायात को जाम मुक्त बनाएगा। साथ ही, दिल्ली और गुरुग्राम से बेहतर कनेक्टिविटी देगा। इस प्लान को बनाने के लिए एक सलाहकार कंपनी चयन के लिए आरएफपी (रिक्वेस्ट फार प्रपोजल) जारी किया गया है। हालांकि इस प्लान के लिए पहले भी आरएफपी जारी की गई थी। लेकिन कंपनी नहीं आई। इस रीजनल प्लान का एक आशय पश्चिमी यूपी में इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ावा देना भी है। चयन होने वाली सलाहकार कंपनी एक प्लान बनाएगी। इस प्लान को सभी जिले और प्राधिकरण अपने-अपने क्षेत्र में लागू करेंगे। इसमें सड़कों की चौड़ाई बढ़ाने से लेकर नए फ्लाईओवर, बॉटलनेक और ट्रांसर्पोटर्स को ध्यान में रखा जाएगा।
मास्टर प्लान 2031 तक शहर में जो भी मोबिलिटी प्लान होगा उसे लागू किया जाएगा। वो कैसे लागू होगा इसके लिए सलाहकार कंपनी ही प्लान करेगी। इस रीजनल प्लान में हापुड़ और गाजियाबाद को भी जोड़ा गया है। प्राधिकरण ने बताया कि लोकल स्तर पर भी कई मोबिलिटी प्लान है। सलाहकार कंपनी इन क्षेत्रीय प्लान का अध्ययन करेगी और उसमें दिए गए बेहतर प्लान या सुझाव को वो अपनी डीपीआर में शामिल करेगी। इसके लिए सलाहकार कंपनी को अधिकतम 30 महीने का समय दिया जाएगा। यानी 2027 तक लेकिन प्राथमिक प्लान उसे तीन महीने में ही देना होगा। जिस पर एक रिपोर्ट तैयार कर हम शासन को भेजेंगे।
दरअसल ये प्रकार का थिंक टैंक होगा। जिसमें चार स्थानों के अधिकारी और सलाहकार कंपनी सिर्फ इस बात पर अध्ययन करेंगे कि आगामी 50 सालों तक दिल्ली से बेहतर कनेक्टिविटी और इस रीजन को कैसे जाम मुक्त बनाया जाए। जितने भी सुझाव आएंगे उनको कंपनी प्लान में शामिल करेगी और बनाने का काम संबंधित प्राधिकरण का होगा। बता दे हाल ही में इस प्लान को लेकर नोएडा के एक होटल में विस्तृत बैठक हो चुकी है। सबसे पहले सलाहकार कंपनी तीनों शहर के लोकल अथॉरिटी के प्लानिंग सेल से बात करेगी और विजिट करके शहरी और ग्रामीण इलाकों की एक ब्रीफ तैयार करेगी। जिसमें लोकेशन, लैंड एरिया,रोड नेटवर्क, रीजनल इकोनामिक, स्ट्रक्चर उपलब्धता को शामिल किया जाएगा। सभी प्रकार की डाटा एनालिसिस रिपोर्ट को एकत्रित करना जिसमें यहां सामाजिक परिवेश, रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या और ट्रांसपोर्ट नेटवर्क, अर्बन ट्रांसपोर्ट नियम, रीजनल ट्रांसपोर्ट पॉलिसी, नेशलन और स्टेट रूल, सड़क हादसे, लैंड यूज , मेप शामिल है। इसके बाद एक प्राथमिक सर्वे प्लान तैयार किया जाएगा। इसके बाद हितधारक , पब्लिक और अन्य लोगों से इस सर्वे प्लान पर बातचीत की जाएगी। डिटेल सर्वे की जिसमें यहां निर्मित इमारतों की संख्या, ट्रैफिक, रोड पर स्पीड, पार्किंग, पेडेस्ट्रेन का डाटा लेकर ग्राउंड रिपोर्ट की जाएगी। ये टाइम, कास्ट , कंफर्ट , सेफ्टी और सिक्योरिटी के लिहाज से तैयार की जाएगी। यहां एक महत्वपूर्ण पाइंट प्रदूषण से संबंधित भी होगा। इसके लिए डीजल, पेट्रोल , एलपीजी और इलेक्ट्रिक का डाटा लेकर ये चेक किया जाएगा कि इसका कितना असर प्लान के अनुसार कम होगा या बढ़ेगा।
नोएडा ग्रेटरनोएडा और यमुना क्षेत्र में ई बस चलाने का प्राविधान है। इसे मोबिलिटी प्लान में ही शामिल किया जाएगा। इसके लिए अलग से इन्फ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता होगी। जिसमें एडमिन ब्लाक, चार्जिंग स्टेशन, डिपो, वार्कशॉप आदि। रोड नेटवर्क , इंटर कनेक्टिविटी , पार्किंग उपलब्धता और उसके प्रकार, पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम, पेरा ट्रांजिस्ट सिस्टम , सड़कों पर ट्रैफिक का भार, ट्रैफिक सेफ्टी को शामिल करते हुए फाइनल ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा। ये फाइनल ड्राफ्ट कंपनी गठित की गई समिति के सामने रखेगी। बोर्ड से अप्रूव होने पर इस पर काम शुरू किया जाएगा।