अब्दुल मलिक-बेटा मोईद अभी रहेगा सलाखों के पीछे, हल्द्वानी हिंसा के दोनों हैं मास्टरमाइंट

हल्द्वानी हिंसा का मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक और उसका बेटा मोईद अभी सलाखों के पीछे ही रहेगा। जबकि, हल्द्वानी के वनभूलपुरा हिंसा की छह महिला आरोपियों समेत 50 लोगों की जमानत अर्जी बुधवार को हाईकोर्ट से मंजूर हो गई लेकिन हिंसा के अहम आरोपी अब्दुल मलिक और उसके बेटे मोईद की जमानत पर अब भी संशय बना हुआ है। 

बुधवार को हाईकोर्ट के फैसले के बाद लोगों में मलिक और मोईद की जमानत को लेकर भी चर्चाएं शुरू हो गईं। शाम होते-होते यह बात साफ हो गई कि हिंसा के आरोपी पिता-पुत्र की जमानत नहीं हुई है।

सूत्रों के अनुसार, लंबे समय से मलिक और मोईद की ओर से जमानत अर्जी लगाई ही नहीं गई है। हालांकि 50 लोगों की जमानत मंजूर होने के बाद हल्द्वानी, सितारगंज, अल्मोड़ा और हरिद्वार जेल में बंद हिंसा के अन्य आरोपियों की भी उम्मीदें बढ़ गई हैं। 

जानकारी के मुताबिक, कई आरोपियों ने कागजी तैयारियां भी शुरू करा दी हैं। नैनीताल के जेल अधीक्षक संजीव ह्यांकी ने बताया कि फिलहाल मलिक और मोईद ने जमानत की अर्जी नहीं लगाई है।

सलाखों से निकलने में लगेंगे चार दिन : भले ही 50 आरोपियों की जमानत मंजूर हो गई है लेकिन उनकी रिहाई की प्रक्रिया में चार दिन या फिर एक सप्ताह लग सकता है। इसका कारण है हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी सेशन कोर्ट में सबमिट होने के बाद जमानती दाखिल होंगे और उसके बाद हल्द्वानी उप कारागार को आरोपियों को रिहा करने का आदेश दिया जाएगा।

महीनों बाद नसीब होगी घर की रोटी :बीती आठ फरवरी को हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने 107 लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें से छह महिलाएं और 101 पुरुष आरोपी हैं। इनमें से गंभीर बीमारी के चलते एक आरोपी को पहले जमानत पर रिहा किया जा चुका है।

बता दें कि बुधवार को जिन 50 लोगों की जमानत के आदेश हुए उनमें छह महिलाएं भी शामिल हैं, जो करीब सवा छह महीने बाद अपने घरों को लौटेंगी। वहीं 44 पुरुष आरोपी भी करीब सात महीने बाद घर की रोटी खा सकेंगे।

पुलिस की चूक बनी जमानत की वजह

वनभूलपुरा हिंसा मामले में तीन अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए गए थे। इनकी जांच क्रमश: सीओ रामनगर, सीओ भवाली और सीओ लालकुआं कर रहे थे। नियम के मुताबिक, मुकदमा दर्ज होने के 90 दिन यानि तीन माह के भीतर पुलिस को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करनी होती है, लेकिन पुलिस ऐसा नहीं कर पाई।

तीन माह गुजरे तो आरोपियों की ओर से निचली अदालत में जमानत याचिका लगाई गई, लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया था। आरोपियों पर लगे गंभीर आरोपों को देखते हुए निचली अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाले सभी 50 आरोपियों को जमानत दे दी है।

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