जानिए किस दिन है सोमवती अमावस्या, पितरों के तर्पण के लिए महत्वपूर्ण है यह तिथि
हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत महत्व माना जाता है। हिंदू महीने के अंतिम दिन को अमावस्या के रूप में जाना जाता है। इस दिन व्रत, पूजा, स्नान-दान आदि जरूर करना चाहिए। सभी अमावस्याओं में मौनी और सोमवती अमावस्या को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। सोमवती अमावस्या के दिन स्नान और दान के साथ पितृ पूजा भी की जाती है। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सोमवती अमावस्या के दिन पूजा-पाठ के साथ कुछ विशेष उपाय करने से विशेष लाभ मिलता है। साथ ही ग्रह दोष और पितृ दोष आदि से भी छुटकारा मिलता है। आइए, जानते हैं कि सोमवती अमावस्या किस दिन मनाई जाएगी और इस दिन क्या करना चाहिए।
सोमवती अमावस्या तिथि
भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि 2 सितंबर 2024 को सुबह 5:21 बजे शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 3 सितंबर 2024, सुबह 7:24 बजे होगा।
सोमवती अमावस्या पर क्या करें
- अमावस्या के दिन गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान जरूर करना चाहिए। यह आवश्यक माना जाता है।
- इस दिन दान करने का भी विशेष महत्व होता है। ऐसे में अमावस्या पर गरीबों या जरूरतमंदों को जरूरी सामान दान करें।
- सोमवती अमावस्या के दिन अपने पितरों का तर्पण और पिंडदान करें। इस दिन पितृ गायत्री मंत्र या पूर्वजों को समर्पित मंत्रों का जाप करना चाहिए।
- इस दिन धार्मिक ग्रंथ श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करना चाहिए। इस दिन अधिकतर समय धार्मिक कार्यों और पूजा-पाठ आदि में व्यतीत करना चाहिए।
- इस दिन बड़ों का सम्मान करें और सभी से प्रेमपूर्वक व्यवहार करें। इस दिन मंदिर या धार्मिक स्थान पर जाकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
सोमवती अमावस्या पर क्या नहीं करें
- मांसाहारी भोजन या शराब आदि का सेवन इस दिन नहीं करना चाहिए।
- इस दिन चना, मसूर दाल, सरसों का साग और मूली खाना वर्जित माना जाता है।
- इस दिन किसी भी जीव-जंतु को परेशान न करें।
- इस दिन किसी का अनादर न करें। इस दिन कोई भी शुभ कार्य या मांगलिक कार्य जैसे शादी या सगाई आदि न करें। इस दिन पितृ दोष लगने वाला कोई काम न करें।