हल्द्वानी हिंसा में 107 आरोपियों पर UAPA एक्शन, उम्रकैद से लेकर इन सजा का प्रावधान
हल्द्वानी के वनभूलपुरा क्षेत्र में बीती आठ फरवरी को हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने जेल में बंद सभी 107 आरोपियों के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत कार्रवाई कर दी है। पुलिस ने हिंसा के बाद मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक समेत 36 लोगों के खिलाफ यूएपीए के तहत 26 फरवरी को ही कार्रवाई कर दी थी।
अब जेल में बंद सात महिलाओं समेत 71 अन्य आरोपियों पर भी यूएपीए की धारा बढ़ा दी गई है। हल्द्वानी हिंसा मामले में पुलिस ने अलग-अलग तीन मुकदमे दर्ज किए थे। इनमें अब्दुल मलिक, उसके बेटे मोईद मलिक और सात महिलाओं समेत 107 आरोपियों को जेल भेजा जा चुका है। बीते शुक्रवार को जिला एवं सत्र न्यायालय हल्द्वानी में 98 आरोपियों को पेश किया गया था।
इसके बाद अदालत ने सभी की न्यायिक हिरासत 28 दिन के लिए आगे बढ़ा दी है। एसएसपी पीएन मीणा ने बताया कि 71 और आरोपियों को मिलाकर जेल में बंद सभी 107 लोगों के खिलाफ यूएपीए एक्ट की धाराएं बढ़ा दी गई हैं।
अब्दुल मलिक और मोईद नैनीताल तो 105 हल्द्वानी जेल में बंद
हल्द्वानी हिंसा के 107 आरोपियों में से दो आरोपी अब्दुल मलिक और उसका बेटा मोईद मलिक नैनीताल जिला जेल में बंद हैं। जबकि अन्य 105 आरोपियों को हल्द्वानी उप कारागार में रखा गया है। पुलिस सूत्रों की मानें तो मामले में की जांच चल रही है। जरूरत पड़ने पर आरोपियों पर और धाराएं भी लगाई जा सकती है।
क्या होता है यूएपीए एक्ट
हल्द्वानी हिंसा के आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के सेक्शन (15) के तहत कार्रवाई की है। कानून के जानकारों के मुताबिक यह एक्ट तब लगाया जाता है जब कोई व्यक्ति भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा, संप्रभुता को संकट में डालने के इरादे से भारत में आतंक फैलाने या आतंक फैलाने की संभावना के इरादे से गैरकानूनी गतिविधि करता है।
या उसकी संलिप्तता होती है। इसमें बम धमाकों से लेकर जाली नोटों तक का कारोबार शामिल है। दोष सिद्ध होने पर आरोपी को पांच साल से उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। बता दें कि यूएपीए के तहत कार्रवाई के चलते तीन महीने तक जमानत नहीं मिल पाती है।