हरदा धमाके में चार लापता, मलबे के ढेर में ‘अपनों’ को तलाश रहे लोग

मध्य प्रदेश के हरदा जिले में मंगलवार को एक के बाद एक कई धमाके हुए। घटना में 11 की मौत जबकि 217 घायल हुए हैं। कुछ लोग लापता बताए जा रहे हैं। फैक्ट्री के आसापस बारूद के निशान और मलबे के ढेर दिखाई दे रहे हैं। कई निवासियों, हादसे में जीवित बचे लोगों और अधिकारियों का कहना है कि फैक्ट्री में दो लेवल के बेसमेंट थे जहां लगभग 100 श्रमिक और उनके परिवार, जिनमें से कई बिहार के प्रवासी थे, काम करते थे। बैरागढ़ गांव में अपने लापता रिश्तेदारों की तलाश में लोग पहुंचने लगे हैं।

टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, तीन मंजिला कारखाने के अवशेषों और मलबा हटाने का काम जेसीबी मशीनें कर रही हैं। अभी तक कोई भवन योजना नहीं मिली है, लेकिन कुछ अधिकारियों और आपातकालीन प्रतिक्रिया कर्मियों ने एक बेसमेंट के बारे में बताया है। हालांकि, नर्मदापुरम के डिविजनल कमिश्नर पवन कुमार शर्मा ने इससे इनकार किया है। शर्मा ने रिपोर्टर्स से कहा, ‘यहां कई तरह की अफवाहें चल रही हैं। जब हमने लोगों से पूछताछ की तो हमें बताया गया कि भंडारण (स्टोरेज) के लिए 15×15 फुट का बेसमेंट इस्तेमाल किया गया था। हमने सभी मंजिलों की जांच कर ली है। फर्श के नीचे बजरी और अन्य सामग्रियां मिली हैं, जिससे पता चलता है कि वहां कोई बेसमेंट नहीं है। फिर भी, हम पूरे क्षेत्र की जांच कर रहे हैं कि कहीं कोई बेसमेंट तो नहीं था।’

इसी दौरान कुछ लोग खोया पाया डेस्क पर पहुंचे। यहां आने से पहले इन सभी ने लापता लोगों की सूचना देने से पहले अस्पतालों के चक्कर लगाए और आधिकारिक डेटा की जांच की थी। हरदा शहर के मानपुर इलाके में रहने वाले तबरेज खान अपनी 57 साल की चाची जैजुन बी को तलाशते हुए आए थे। तबरेज ने बताया, ‘मेरी चाची के 22 साल के बेटे आबिद उर्फ अद्दू की दुर्घटना में मौत हो गई। वे दोनों फैक्ट्री में काम करते थे। आबिद का शव तो मिल गया लेकिन हमें उसकी मां का कुछ पता नहीं चला है।’

खाने कहा, उनके परिवार के कई सदस्य कारखाने में काम करते थे लेकिन मंगलवार को ज्यादातर लोग एक शादी में शामिल होने गए थे। तबरेज ने कहा, ‘अगर यह कोई और दिन होता, तो यह हमारे परिवार के लिए विनाशकारी होता।’ खरगोन जिले से दो परिवार मजदूरों की तलाश में आए, जिसमें एक अंबापुरा गांव के धारा सिंह और दूसरा नांगलवाड़ी गांव के कैलाश सिंह हैं। कैलाश की मां ने कहा, ‘मेरा बेटा और बहू यहां काम करते थे। वह बच गई, लेकिन कैलाश नहीं मिला तो उसने मुझे फोन किया। मैं तुरंत हरदा (200 किमी दूर) पहुंची। धारा पड़ोसी गांव से है। दोनों के दो बच्चे हैं।’

एक अन्य हरदा निवासी अपनी चाची की तलाश में आया। उसकी चाची का नाम शकुन बाई (50) है और वह शुक्ला मोहल्ला की निवासी है। एक दमकलकर्मी ने बताया कि अनुमान है कि मलबे के अंदर की गर्मी 1,500 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गई, जो एक इलेक्ट्रिक शवदाह गृह से भी ज्यादा गर्म है। इतना तापमान स्टील और कंक्रीट को पिघलाने के लिए काफी है। उन्होंने कहा, ‘अगर लोग यहां फंस गए होते, तो शायद दांतों के अलावा कुछ भी नहीं बचता।’

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