निराश्रित गोवंश संरक्षण के लिए 1 नवंबर से योगी सरकार चलाएगी विशेष अभियान

  • अभियान को लेकर समीक्षा बैठक में दिए गए आवश्यक दिशा निर्देश
  • अभियान की साप्ताहिक और पाक्षिक रिपोर्ट मुख्यालय को कराई जाएगी उपलब्ध

लखनऊ, निराश्रित गोवंश के संरक्षण के लिए योगी सरकार 1 नवम्बर से 31 दिसम्बर तक विशेष अभियान चलाने जा रही है। इसको लेकर योगी सरकार ने अभियान की समीक्षा बैठक में निराश्रित गोवंश के लिए पर्याप्त गोसंरक्षण केन्द्रों की स्थापना करने और गोवंश के भरण पोषण के लिए पर्याप्त इंतजाम सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही गोसंरक्षण केन्द्रों पर नंदी के लिए अलग शेड की व्यवस्था करने को कहा। इसकी साप्ताहिक एवं पाक्षिक रिपोर्ट मुख्यालय पर उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही टीम-9 द्वारा 7 से 9 नवम्बर तक प्रभारी मण्डलों के उन ब्लाकों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, जहां अधिक संख्या में निराश्रित गोवंश की सूचना प्राप्त हो होगी।

पांच विभाग के समन्वय से सफल होगा अभियान

समीक्षा बैठक में निर्देश दिए गए कि गोवंश के संरक्षण में संवेदनशीलता बरती जाए और टैक्टर संग कैटल कैचर की व्यवस्था अनिवार्य रूप से कर ली जाए। अभियान में गृह विभाग, राजस्व विभाग, ग्राम्य विकास विभाग, नगर विकास विभाग एवं पंचायती राज विभाग से समन्वय स्थापित कर सफल बनाया जाए। संरक्षित किये जाने वाले गोवंश की देखभाल के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थायें चारा, भूसा, टीनशेड, विद्युत आपूर्ति, पेयजल एवं उपचार आदि के पर्याप्त इंतजाम सुनिश्चित किये जाए। पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप गोआश्रय स्थलों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम को प्रोत्साहित करते हुए प्रभावी रूप से संचालित किया जाए। वर्तमान में 6943 गोआश्रय स्थल हैं,जिनमें 12,11,247 गोवंश संरक्षित किये गये हैं। इस दौरान पशुधन मंत्री ने लम्पी स्किन डिजीज पर प्रभावी नियंत्रण के लिए संतोष व्यक्त किया। अब तक लम्पी स्किन डिजीज से बचाव के लिए 1.59 करोड़ टीकाकरण किया गया है।

गोशालाओं के निर्माण स्थिति से कराया अवगत

बैठक में पशुधन एवं दुग्ध विकास अपर मुख्य सचिव डा. रजनीश दुबे ने निराश्रित गोवंश को गोआश्रय स्थलों तक पहुंचाने, गोआश्रय स्थलों का विस्तारीकरण, निर्माणाधीन गोशालाओं की स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि यथाशीघ्र निर्माणाधीन गोआश्रय स्थलों का कार्य पूर्ण कराया जाए और उनमें गोवंश को संरक्षित किया जाए।

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