नवरात्रि: 15 को वैदिक मंत्रोचार के साथ विराजित होगी मां भवानी
नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों के साथ-साथ नौ ग्रहों को भी शांति करने का एक सुनहरा अवसर भी मिलता है। क्योंकि हर देवी का संबंध किसी न किसी ग्रह से जरूर होता है। जब हम इन देवियों को नवरात्रि के दौरान पूजा करते हैं। तो उसे देवी से संबंधित ग्रह दोष भी शांत हो जाते हैं। और पुण्य फल मिलने लगता है।
बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य डॉं सतीश सोनी के अनुसार नवरात्रि के नौ दिनों में दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना होती है। जिसमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्र घंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री माता की साधना उपासना करके उन्हें मनाया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में नवरात्रि के दौरान देवी की आराधना करने से ग्रहों से विपरीत पढ़ने वाले प्रभाव को काम किया जा सकता है। अथवा इनके दोषो से मुक्त हुआ जा सकता है।
किस देवी की आराधना से ग्रहों के दोषों से मिलेगी मुक्ति
देवी शैलपुत्री की पूजा करने से चंद्रमा से संबंधित दोष दूर होते हैं।ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से कुंडली में मंगल ग्रह से संबंधित दोष से जुड़ी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।चंद्रघंटा की पूजा करने से शुक्र ग्रह से संबंधित दोष दूर होते हैं। और शुक्र ग्रह मजबूत होता है।
मां कुष्मांडा सूर्य ग्रह का मार्गदर्शन करती हैं। अतः इनकी पूजा से सूर्य से संबंधित सभी दोषो से मुक्ति पाई जा सकती है और सूर्य के कुप्रभाव से भी बचा जा सकता है।स्कंद माता की पूजा करने से कुंडली में बुध ग्रह से संबंधित दोष दूर होते हैं।मां कात्यायनी की आराधना करने से गुरु ग्रह को मजबूती मिलती है।मां कालरात्रि की आराधना से शनि से जुड़े सभी दोषो का नाश होता है।
महागौरी की विधिवत पूजा अर्चना से राहु से संबंधित दोषो का शमन होता है।सिद्धि दात्री की पूजा से केतु ग्रह से उत्पन्न दोष का नाश होता है।
कलश पूजन से सर्वदेव पूजन का फल
देवी पुराण के अनुसार नवरात्रों में कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है। कलश में ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र, नवग्रह, सभी नदियां, सागर सरोवर ,सातोदीपों, षोडश मातृकाओ, 64 योगिनी सहित सभी 33 करोड़ देवी देवताओं का वास होता है। इसलिए सिर्फ कलश की पूजा से ही श्रद्धालुओं को सर्व देव पूजन का पुण्यफल मिल जाता है।
कलश घट स्थापना शुभ मुहूर्त
- दोपहर 11:42 से 12 29 तक श्रेष्ठ
- चार, लाभ, अमृत चौघड़िया मुहूर्त सुबह 7:30 से दोपहर 12:00 बजे तक
- शुभ का चौघड़िया दोपहर 1:30 से 3:00 बजे तक