अधीर रंजन चौधरी ने सेंट्रल हॉल का इतिहास बताते हुए मोदी सरकार पर साधा निशाना, जानें…
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार (19 सितंबर) को संसद में बोलते हुए कहा कि देश में धन सृजन के मामले में “घोर असमानता” है। इस असमानता को पाटना ‘विकसित देश’ का दर्जा हासिल करने में महत्वपूर्ण चुनौती होगी। उनके कहने का आशय है कि देश में कुछ लोगों के पास ही ज्यादा पैसा है और जबकि बहुत से लोगों के पास कम पैसा है।
अधीर रंजन चौधरी ने सेंट्रल हॉल का इतिहास बताते हुए मोदी सरकार पर तंज कसा। चौधरी ने कहा कि मानव विकास सूचकांक में भारत 189 देशों में 131वें स्थान पर है। उन्होंने कहा कि भारत की 10 प्रतिशत आबादी देश की कुल संपत्ति के 73 प्रतिशत पैसे पर नियंत्रण रखती है, जबकि 2017 में 73 प्रतिशत संपत्ति सबसे अमीर लोगों के पास गई।
देश विकसित बने लेकिन रास्ते में कई चुनौतियां हैं- चौधरी
उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता कि कैसे किसी देश को विकसित देश कहा जाएगा। मुझे यह भी नहीं पता कि इसकी परिभाषा पर कोई वैश्विक सहमति है या नहीं क्योंकि जब आप देखते हैं कि दूसरे विकसित देशों में मानव विकास सूचकांक एक अहम फैक्टर है, तो इस मामले में भारत काफी पीछे है। हम 189 देशों में 131वें स्थान पर हैं। उन्होंने बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे मुद्दों का जिक्र करते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि 2047 से पहले ही देश विकसित बने लेकिन रास्ते में कई चुनौतियां हैं।”
‘विकसित देश बनने के लिए मूलभूत जरूरतों तक पहुंच जरूरी’
अधीर रंजन ने कहा कि देश में 670 मिलियन लोगों ने 2017 में अपनी संपत्ति में एक प्रतिशत की वृद्धि देखी। “यह भारी असमानता यह सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण चुनौती पेश करती है कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लाखों लोगों को भोजन, एक विकसित देश की ओर बढ़ने के लिए घर और स्वास्थ्य देखभाल जैसी मूलभूत आवश्यकताओं तक पहुंच जरूरी है।”
उपराष्ट्रपति धनखड़, पीएम मोदी रहे मौजूद
संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और प्रल्हाद जोशी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे मंच पर मौजूद थे।
चौधरी ने कहा कि 2047 तक विकसित देश का दर्जा हासिल करने की क्षमता नागरिकों की सक्रिय भागीदारी पर निर्भर है। कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि 2047 तक भारत को विकसित देश बनने के लिए महंगाई को कम करना, नौकरियां पैदा करना और स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।