राज्य आंदोलनकारी के आश्रित को सरकारी नौकरी, धामी सरकार की 10% क्षैतिज आरक्षण की मंजूरी  

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के एक आश्रित को उनकी शैक्षिक योग्यता के आधार पर समूह ग व घ के पदों पर सीधी नियुक्ति मिल सकेगी। उधर, सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण देने का रास्ता भी खुल गया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी सरकार ने विधानसभा के पटल पर उत्तराखंड राज्य आंदोलन के चिन्हित आंदोलनकारियों तथा उनके आश्रितों को सरकारी सेवा में आरक्षण विधेयक रख दिया है।

राज्य सरकार ने इंदिरा साहनी बनाम भारत सरकार के वाद में दिए गए स्पष्टीकरण कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के अतिरिक्त सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अन्य पिछड़े वर्ग (जैसे बाढ़, चक्रवात, अग्निकांड, अकाल, युद्ध व दंगा पीड़ित) को भी आरक्षण प्रदान किया जा सकता है। इसके मद्देनजर सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी सेवा में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण देने का रास्ता निकाला है।

संशोधित विधेयक में यह प्रावधान भी किया है कि ऐसे आंदोलनकारी जो घायल हुए या फिर सात दिन से अधिक जेल में रहे, उन्हें समूह ग व घ के पदों पर सीधी नियुक्ति देने के लिए एक बार आयु सीमा तथा चयन प्रक्रिया को शिथिल किया जाएगा। जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में गठित कमेटी शैक्षिक आधार पर यह नियुक्ति देंगे। यदि ऐसे चिन्हित आंदोलनकारियों की आयु 50 वर्ष से अधिक है अथवा वे शारीरिक व मानसिक रूप से अक्षम हैं तो फिर इस दशा में उनके एक आश्रित को यह लाभ मिलेगा।

इनको क्षैतिज आरक्षण

सात दिन से कम अवधि तक जेल में रहे आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा। आश्रितों में पति, पत्नी, पुत्र एवं अविवाहित अथवा विधवा पुत्री ही शामिल होगी। विदित है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद 2013 से आंदोलनकारियों को आरक्षण पर रोक है।

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