विरासत में मिली संपत्ति के बेचने पर क्या है आयकर विभाग का नियम, जानिए पूरी डिटेल

 नई दिल्ली, अपने पूर्वजों की संपत्ति हमारे लिए काफी जरूरी होती है। इस संपत्ति को बेचना काफी मुश्किल होता है। अगर टैक्स को देखा जाए तो हम पाएंगे कि ये काफी मुश्किल काम है। विरासत की संपत्ति पर टैक्स लगेगा या नहीं, इसको लेकर कई लोग कंफ्यूज होते हैं। आइए, आज हम आपकी कंफ्यूजन को दूर करने में मदद करते हैं। दरअसल, हमें विरासत की संपत्ति पर टैक्स का भुगतान तब करना होता है जब हम उसे बेचते हैं।

इसे ऐसे समझिए कि अगर मेरे पास कोई विरासत की संपत्ति है तो मैं उसपर कोई टैक्स का भुगतान नहीं करूंगी। मुझे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को भले ही उस संपत्ति के बारे में बताना होगा, लेकिन मैं उसके लिए कोई टैक्स का भुगतान नहीं करूंगी। अगर मैं अपनी विरासत ती संपत्ति बेचती हूं तब मुझे उस संपत्ति का टैक्स देना होगा।

विरासत की संपत्ति में कौन शामिल होता है?

विरासत की संपत्ति को लेकर एक कंफ्यूजन यह भी रह जाती है कि किस संपत्ति को आखिरकार विरासत की संपत्ति कहा जाता है। विरासत की संपत्ति में वह जमीन या संपत्ति शामिल होती है जो हमें हमारे पिता, दादा या परदादा से मिलती है। अगर कोई संपत्ति हमें हमारी माता के परिवार यानी नाना, मामा या अन्य रिश्तेदारों से मिलती है तो वह विरासत की संपत्ति नहीं कहलाती है। हमें इस तरह की संपत्ति की जानकारी इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत देनी होती है।

विरासत संपत्ति पर कर कौन देगा?

विरासत में मिली संपत्ति के बेचने पर हमें उसके लिए टैक्स देना होता है। संपत्ति पर लगने वाले टैक्स का भुगतान करने की जिम्मेदारी संपत्ति के मालिक की होती है।  वैसे तो विरासत में मिली कोई भी संपत्ति को उपहार माना जाता है और से टैक्स फ्री होता है। लेकिन अगर इस संपत्ति को बेचा जाता है तब इस पर कर लगता है। यह टैक्स पूंजीगत लाभ के श्रेणी में आ जाता है। आपको पूंजीगत लाभ को दीर्घकालिक या अल्पकालिक के रूप में वर्गीकृत भी करना होता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपके पास कितने समय के लिए कोई भी संपत्ति होती है।

मान लीजिए कि आप के पास दो साल तक पैतृक संपत्ति होती है, उसके बाद आप इसे बेच देते हैं। जब आप संपत्ति को बेचते हैं तो आपके पास जो भी राजस्व आता है यानी बिक्री की राशि आती है वह  दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ माना जाता है।

विरासत की संपत्ति को लेकर इनकम टैक्स एक्ट

विरासत की संपत्ति को लेकर आयकर अधिनियम में भी कुछ नियम है। आयकर अधिनियम के अनुसार अगर कोई संपत्ति 1 अप्रैल, 1981 से पहले विरासत में मिली थी तो फिर संपत्ति के मालिक के पास  संपत्ति के उचित बाजार मूल्य को बदलने का ऑप्शन होता है। वहीं अगर संपत्ति 1 अप्रैल 2001 के बाद विरासत में मिली है तब अधिग्रहण की लागत 50,000 रुपये मानी जाती है।

अगर 1 अप्रैल, 1981 के बाद विरासत में मिली संपत्ति के मामले में आप कर उद्देश्यों के लिए मालिकों द्वारा भुगतान की गई राशि को प्रतिस्थापित नहीं कर पाएंगे। इसी के साथ कई मामलों में आप जिस साल विरासत की संपत्ति पाते हैं उसी  साल से आप इंडेक्सेशन से लाभ पाने के हकदार हो जाते हैं।

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