फर्जी दस्तावेजों और अनजाने जमानतदारों से बांग्लादेशी डकैत हुआ रिहा, जानिए मामला

फर्जी दस्तावेजों और अनजाने जमानतदारों से अपराधियों की जमानत करवाने गिरोह का एक और कारनामा सामने आया। चार दिन पहले इस गिरोह ने बांग्लादेशी डकैत आलमगीर उर्फ आलम की जमानत करा ली। दस्तावेजों में बागपत के दो लोग इसके जमानतदार थे। इनका सत्यापन हुआ और वह 20 जुलाई को रिहा हो गया। इसी बीच बागपत के जमानतदार को असलियत पता चली तो वह लोग लखनऊ पहुंचे और 24 जुलाई को जमानत निरस्त करा दी। अब आलमगीर फिर जेल में है। इसी पड़ताल में जेल से चौंकाने वाले खुलासे का पता चला कि वर्ष 2017 में इसकी जमानत बीकेटी के दो लोगों ने भी ली थी और ये लोग भी उसे जानते तक नहीं थे। तब भी उसकी जमानत हो गई थी लेकिन वह बाहर नहीं आ सका था।

डकैती को मामूली धारा में बंद बताकर जमानतदार बनाया

20 जुलाई को बांग्लादेश के मोरलगंज निवासी आलमगीर पुत्र हलीम का रिहाई आदेश बन गया। उसकी जमानत का सत्यापन हो चुका था, लिहाजा कोई अड़चन नहीं आयी। जेल सूत्र ने इस बार परिचित पुलिस अधिकारी को बता दिया। पुलिस से ही बागपत के जमानतदार को पता चला कि उन्होंने जिसकी जमानत ली है, वह डकैती में बंद था। दोनों सकते में आ गये क्योंकि उन्हें मामूली मारपीट में बंद आदमी की जमानत लेने को परिचित ने कहा था। यह परिचित ही उन्हें लखनऊ तक लाया था। ये लोग रविवार को लखनऊ पहुंचे। कोर्ट में अर्जी देकर जमानत निरस्त करा दी।

जमानत निरस्त होते ही फिर जेल भेजा गया

जेल सूत्रों के मुताबिक जमानत निरस्त होने का आदेश जेल पहुंचा। इस बीच गुपचुप तरीके से पुलिस को फिर बताया गया। पुलिस ने किसी तरह उसे खोज निकाला, उसे फिर जेल भेज दिया गया। जेल सूत्रों ने पुष्टि की कि उसे 24 जुलाई शाम को फिर जेल लाया गया। वह 10 दिसम्बर, 2016 से जेल में है। आलमगीर के खिलाफ गोमतीनगर थाने में वर्ष 2016 में डकैती का मुकदमा हुआ था। उसने साथियों के साथ एल्डिको ग्रीन निवासी अभिनव कपूर के घर नौ दिसम्बर को डकैती डाली थी। तब बांग्लादेशी आलमगीर और साथी पकड़े गये थे।

बीकेटी के जमानतदार भी नहीं जानते थे डकैत को

पुलिस सूत्रों का कहना है कि बीकेटी के दो जमानतदारों ने वर्ष 2016 में जमानत ली थी। यह बात जेल से पुलिस को पता चली। पड़ताल में सामने आया कि बीकेटी के इन जमानतदारों ने किसी के कहने पर आलमगीर की जमानत ली थी। हालांकि कुछ औपचारिकता पूरी न होने पर तब रिहाई नहीं हो सकी थी। उन्हें पता ही नहीं था कि आलमगीर कौन है और किस अपराध में बंद है।

जमानत कराने वाले इस गिरोह के लिए बनी टीम

लखनऊ। चार दिन पहले ही गोसाईगंज व तालकटोरा थाने की मुहर बनाकर उससे फर्जी सत्यापन कर जेल में बंद लुटेरे सलमान की जमानत करायी गई थी। पड़ताल हुई तो पता चला कि सलमान की जमानत होने पर जमानतदार का सत्यापन कराने के लिये जेल से कोई दस्तावेज उनके यहां आया ही नहीं था। इससे पुलिस अधिकारी हैरान रह गये और पड़ताल शुरू कर दी। पता चला कि सलमान की जमानत के लिये तालकटोरा थाने से जमानदार छोटेलाल व गोसाईगंज से रुपचन्द्र  को जमानतदार दिखाया गया था। एडीसीपी शशांक सिंह ने बताया कि मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। जेल व न्यायालय से और जानकारी जुटायी जा रही है।

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