भारत पर टिप्पणी करने पर बुरे फंसे US के पूर्व राष्ट्रपति ओबामा, जानिए पूरा मामला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा कई मायनों में बेहद सफल रही। हालांकि पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की एक टिप्पणी काफी ज्यादा सुर्खियों में रही। अपनी इस टिप्पणी में ओबामा ने भारत में मुसलमानों के अधिकारों पर सवाल खड़े किए थे। इस टिप्पणी को लेकर ओबामा लगातार निशाने पर हैं। तमाम भाजपा नेताओं के साथ-साथ वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने भी पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति को जमकर सुनाया है। भारत के अलावा उनके ऊपर अमेरिका में भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

राजनाथ सिंह ने कही यह बात

इसी कड़ी में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी ओबामा की टिप्पणी पर ऐतराज जताया है। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत वसुधैव कुटुंबकम की भावना पर चलने वाला देश है। हमारे लिए पूरी दुनिया हमारा घर है। उन्होंने कहा कि ओबामा को यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत एकमात्र देश है जो दुनिया में रहने वाले लोगों को परिवार के सदस्य की तरह मानता है। राजनाथ सिंह यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा कि ओबामा को यह नहीं भूलना चाहिए कि उन्होंने कितने देशों पर हमला किया।

निर्मला सीतारमण ने भी नहीं बख्शा

इससे पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को जमकर सुनाया। उन्होंने कहा कि हम अमेरिका के दोस्त हैं, लेकिन ओबामा के चलते छह मुस्लिम देशों पर 26000 से ज्यादा बम गिराए गए थे। इसमें सीरिया से लेकर यमन तक शामिल हैं। वित्तमंत्री ने कहा कि मैं ऐसा बोलने पर मजबूर हूं क्योंकि यह बयान भारत की धार्मिक सहनशीलता के खिलाफ आया है। इसके अलावा एक अमेरिकी अधिकारी ने भी अमेरिकी राष्ट्रपति पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा पूर्व राष्ट्रपति को भारत पर सवाल उठाने के बजाए उसकी तारीफ करनी चाहिए।

ऐसा था ओबामा का इंटरव्यू

गौरतलब है कि जिस वक्त मोदी अमेरिका में थे, तभी ओबामा का मशहूर अमेरिकी पत्रकार क्रिश्चियन अमनपोर के साथ एक इंटरव्यू आया था। इस इंटरव्यू में अमेरिकी पत्रकार के सवाल पर ओबामा ने हिंदू बहुसंख्यक भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल उठाया था। साथ ही कहा था कि अगर मेरी मोदी से बात होती तो मेरा तर्क होता कि अगर आप अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कदम नहीं उठाते हैं तो हो सकता है कि भविष्य में भारत में विभाजन बढ़े। यह भारत के हितों के विपरीत होगा।

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