बिहार के इस जिले में बच्चे अब मास्टर साहब की निभाएंगे भूमिका, जानिए पूरा मामला

सासाराम (रोहतास), बिहार के रोहतास जिले में अब बच्चे विद्यालय में मास्टर साहब की भूमिका निभाएंगे। शिक्षकों को सिर्फ स्कूल में हाजिरी बनाने का निर्देश दिया गया है। इस संबंध में विभाग की ओर से पत्र निर्गत कर इस पर अमल करने का निर्देश प्रधानाध्यापकों को दिया है। जाति आधारित जनगणना के दूसरे चरण में को लेकर जिला शिक्षा विभाग ने यह फरमान जारी किया है, जबकि सरकार की तरफ से स्पष्ट कहा गया था कि शिक्षक स्कूल का काम खत्म करने के बाद जनगणना के लिए जाएंगे।

विभाग का यह नया फरमान अभिभावकों को रास नहीं आ रहा है। उनका कहना है कि वैसे भी सरकारी विद्यालय में अक्सर पढ़ाई बाधित रहती है। कभी चुनाव तो, कभी शिक्षक नियोजन, जनगणना व परीक्षा कार्य, जिसमें शिक्षकों के व्यस्त रहने से शिक्षण कार्य बाधित ही रहता है। 

जूनियर छात्रों को पढ़ाएंगे सीनियर बच्चे

पत्र में डीईओ संजीव कुमार ने कहा है कि दूसरे चरण के जाति आधारित गणना में लगे शिक्षक स्कूल अवधि के दौरान कभी भी अपने विद्यालय पहुंच अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकते हैं। जहां तक कक्षा संचालन व पढ़ाई का सवाल है तो प्रधानाध्यापक ऊपरी कक्षा के छात्रों को निचली कक्षा में पढ़ाने के लिए भेज सकते हैं।

शिक्षकों के गले भी नहीं उतर रहा निर्देश

साथ ही स्मार्ट क्लास से भी शिक्षण कार्य किया जा सकता है। यही नहीं वर्ग मॉनिटर के द्वारा भी गतिविधि आधारित शिक्षा व पाठ्य पुस्तक के सहयोग से वर्ग कक्षा का संचालन किया जा सकता है। हालांकि, विभागीय अधिकारी का यह फरमान कई शिक्षकों को भी गले नहीं उतर रहा है।

जनगणना के लिए अलग से मानदेय दे रही सरकार

कई शिक्षकों का कहना है कि फिलहाल स्कूल मार्निंग है, जो साढ़े दस बजे तक संचालित हो रहे हैं। यहीं नहीं गणना कार्य में लगे शिक्षकों को अलग से दस हजार मानदेय का प्रविधान सरकार की ओर से है। ऐसी स्थिति में गणना कार्य में प्रतिनियुक्त शिक्षकों को स्कूल में सिर्फ हाजिरी बनाने भर तक आने का फरमान उचित नहीं प्रतीत होता है। 

अन्य जिलों में पढ़ाने के साथ गणना कार्य करने का निर्देश

बगल के भोजपुर, बक्सर समेत अन्य जिलों में प्रगणक शिक्षकों को शिक्षण कार्य करने साथ गणना कार्य करने का निर्देश दिया गया है। वहीं अभिभावकों का भी कहना है कि सरकार हमेशा बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का काम कर रही है। शिक्षकों को दूसरे कार्य में लगा पढ़ाई को बाधित रखना शिक्षा का अधिकार अधिनियम का खुलंखुल्ला उल्लंधन है। यहीं नहीं जिले में अधिकारियों ने जिन विद्यालयों का गोद ले वहां की शैक्षणिक स्थिति को सुधारने का संकल्प लिया है, उन स्कूलों की भी हालत अच्छी नहीं है।

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