भर्ती परीक्षाओं में नकल करना होगा मुश्किल, जानिए क्या है प्रशासन की योजना…

उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं में नकल करना अब बिल्कुल भी आसान नहीं होगा। 10 साल की सजा के साथ ही नकल करने और कराने वाले लोगों के खिलाफ सख्ती करने का मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार का प्लान बन चुका है। सख्त नकल विरोधी अध्यादेश को मंगलवार को गैरसैंण विधानसभा सत्र में प्रस्तुत करने के साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार ने युवाओं से किया गया वायदा विधायी रूप से भी पूरा कर लिया है।  

हालांकि उक्त कानून अध्यादेश के रूप में 11 फरवरी से ही लागू है। इस कानून के तहत अब पुलिस को दोषियों के खिलाफ कार्रवाई लिए असीमित अधिकार मिल गए हैं।  ऐसे मामलों में दोषी के खिलाफ एफआईआर करने से पहले पुलिस को न तो किसी प्रारंभिक जांच की जरूरत है नहीं किसी से अनुमति लेने की आवश्यकता है। 

आमतौर पर राजपत्रित अधिकारी या सरकारी कर्मचारी की गिरफ्तारी से पहले विधिवत अनुमति की आवश्यकता होती है।  पुलिस नकल करने और कराने के दोषी के पास मिली सामग्री के आधार पर ही स्वत: जांच और गिरफ्तारी  कर सकती है। इसको लेकर अब और सख्ती की गई।

इन परीक्षाओं पर लागू 

इस कानून के दायरे में केवल लोक सेवा आयोग और यूकेएसएसएससी के मार्फत होने वाली भर्ती परीक्षाएं ही नहीं हैं। बल्कि सरकार से अनुदान लेने वाली अशासकीय स्कूलों जैसी संस्थाओं की भर्तियों भी इसके दायरे में आ गई हैं। सरकारी विभागो के साथ ही राज्य सरकार के अधीन प्रतियोगी संस्था, निकाय, बोर्ड, निगम की भर्तियों पर भी यह कानून लागू है।

दस साल तक की सजा 

कानून में पहली बार नकल करने का दोषी पाए जाने वाले अभ्यर्थी के तीन साल की कैद और पांच लाख रुपये तक जुर्माना का प्रावधान किया गया है।  दूसरी बार पकड़े जाने पर 10 साल कैद और 10 लाख जुर्माना तय है। संगठित अपराध की दशा में एक से 10 करोड़ रुपये तक जुर्माना है। नकल माफिया की सम्पत्ति सरकार में निहित करने का प्रावधान किया गया।

चार्जशीट दाखिल होने पर परीक्षाओं से निलंबित

इसके तहत कोई अभ्यर्थी यदि नकल करते या कराते पकड़ा जाता है और उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल होती है तो फिर ऐसे अभ्यर्थी अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में दो से पांच साल तक शामिल नहीं हो सकेंगे। यदि संबंधित संबंधित जांच के बाद दोषी पाए जाते हैं तो वे आगामी दस साल तक भर्ती परीक्षाओं में नहीं बैठ सकेंगे। इसको ल्ेकर सख्ती की गई है।

अपशब्द लिखे तो भी होगी कार्रवाई

कानून में आंसरशीट में अभद्र भाषा के प्रयोग पर भी कार्यवाई का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही परीक्षा के प्रश्नपत्र, आंसरशीट के बाबत गलत सूचना प्रचारित-प्रकाशित करना भी कानून के अधीन आ गया है। ओएमआर शीट को परीक्षा खत्म होने से पहले या बाद चोरी करने, लूटने या नष्ट करने पर सात साल से 10 साल की जेल होगी। 

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