पिथौरागढ़ में मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं होने से नेपाल की संचार का इस्तेमाल कर रहे लोग

इंडिया में रहने के बावजूद लोग नेपाल की मदद से अपने परिजनों और दोस्तों से ‘हेलो’ बोल पा रहे रहे हैं। जी हां, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं होने की वजह से लोगों को मजबूरन नेपाल की संचार सेवा का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। भारत-नेपाल बॉर्डर पर 50 से अधिक गांवों में भारतीय संचार सेवा नहीं है। 

मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं होने के कारण सीमा पर बसे गांवों के लोग नेपाली संचार सेवा का उपयोग कर अपनों से हाय-हेलो कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें अधिक जेब भी खाली करनी पड़ रही है। रोमिंग के कारण उन्हें भारत के तुलना में नेपाली संचार सेवाओं का उपयोग करना महंगा पड़ रहा है।

इसके बावजूद भारतीय संचार सुविधा नहीं होने के कारण लोग नेपाली कंपनियों के संचार सेवा लेने को मजबूर हैं। सीमांत जनपद में नेपाल से लगी सीमा के सिमलखेत, तालेश्वर, अमतड़ी, रड़वां, पीपली, सुनखोली, खोला कट्यानी के साथ बांस व धारचूला के कई गांवों के लोग भारतीय संचार सुविधा से वंचित हैं।

इन गांवों के लोगों ने अपनों से बात करने के लिए नेपाली संचार कंपनियों की सिम ले रखी है। भारत में बसे रिस्तेदारों से बात करने के लिए नेपाली संचार सेवा का उपयोग करने पर लोगों को रोमिंग का चार्ज भी देना पड़ता है। इसके बाद भी लोग मजबूर होकर नेपाली कंपनियों की सेवाएं ले रहे हैं।

उनका कहना है कि यदि वे ऐसा नहीं करेंगे तो बात करने को ही कई किमी रोज पैदल चलना पड़ेगा। घर से कई किमी दूर भारतीय संचार सेवा के नेटवर्क आते हैं। कई बार वहां पैदल चलकर पहुंचने के बाद नेटवर्क गायब मिलते हैं। जिस कारण अधिकतर लोगों ने नेपाली संचार कंपनी की सिम ले रखी है। वे रोज बात करने के लिए इसी का उपयोग कर रहे हैं।

क्षेत्र के कई गांवों में भारत की तरफ से संचार की कोई सुविधा नहीं है। नेपाली नेटवर्क का उपयोग कर लोग अपनों से बात करते हैं। क्षेत्र के गांवों में संचार सुविधा दी जानी चाहिए। 
सुनील कुमार, मेगिन्ड़िया।

संचार विहीन क्षेत्रों को संचार सेवा से जोड़ा जाएगा। बीएसएनएल की ओर से 63टावर लगाए जाने हैं।
रीना जोशी, डीएम, पिथौरागढ़।  

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker