इस दिन से बदलेगी महाकाल की दिनचर्या, ठंडे जल से होगा स्नान, जानिए कारण…

भगवान शिव के प्रमुख मंदिरों में एक उज्जैन का महाकाल मंदिर है। यहां पूरे साल भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में गर्मी के दिनों में भगवान महाकाल की दिनचर्या में बदलाव होगा। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा पर सात मार्च से नई दिनचर्या की शुरुआत हो जाएगी।

ठंडे पानी से होगा महाकाल का जलाभिषेक

अब महाकाल को गर्म की जगह ठंडे पानी से नहलाया जाएगा। इसके साथ ही पूरे दिन में पांच बार होने वाली आरती में से तीन आरती का समय भी बदला जाएगा। आपको बता दें, साल में दो बार महाकाल के पूजन परंपरा में बदलाव किया जाता है। शरद पूर्णिमा के साथ ही सर्दी के अनुसार पूजा और आरती का समय रखा जाता है और चैत्र कृष्ण प्रतिपदा के साथ ग्रष्म के आनुसार भगवान की सेवा की जाती है।

आरती और दर्शन के समय में होगा बदलाव 

फिलहाल, प्रतिदिन चार बजे होने वाली भस्म आरती में भगवान को गर्मजल से स्नान कराया जा रहा है। साथ ही, सुबह के समय होने वाली नैवेद्य तथा भोग आरती गर्मी के निर्धारित समय से आधा घंटे पहले तथा संध्या आरती आधा घंटा देरी से हो रही है। अब सात मार्च से भगवान महाकाल को ठंडे पानी से नहलाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। आरती के समय में भी बदलाव किया जा रहा है, जिसके कारण दर्शन की व्यवस्था में भी बदलाव दिखेगा।

वर्तमान आरती का समय

बताया जा रहा है वर्तमान में आरती का जो भी समय है, उसमें आधे घंटे का ही परिवर्तन देखने को मिलेगा। इसमें भी केवल तीन आरती का समय बदला जा रहा है, जिसमें नवेद्य आरती, भोग आरती और संध्या आरती का समय शामिल है। 

भस्म आरती : तड़के सुबह 4 से 6 बजे तक।

नैवेद्य आरती : सुबह 7:30 से 8:15 बजे तक।

भोग आरती : सुबह 10:30 बजे से 11:15 बजे तक।

संध्या पूजन : शाम 5 बजे से

संध्या आरती : शाम 6:30 बजे से 7 बजे तक।

शयन आरती : रात 10:30 बजे से 11 बजे तक।

7 मार्च से बदलेगा सेवा-पूजन का निर्धारित समय

भस्म आरती : तड़के 4 से 6 छह बजे तक।

नैवेद्य आरती : सुबह 7 से 7:45 बजे तक।

भोग आरती : सुबह 10 से 10:45 बजे तक।

संध्या पूजा : शाम 5 बजे।

संध्या आरती : शाम 7 से 7:45 बजे तक।

शयन आरती : रात 10:30 से 11 बजे तक।

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