शान्ति और सुकून देंगे ये 3 गाँव, जाकर भूल जाएंगे शहर

घूमने के लिए शांत वातावरण खोज रहे हैं और हरियाली भी चाहते हैं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसे गाँवों के बारे में जहाँ जाकर आप सुकून के पल बिता सकेंगे। आइए जानते हैं इन जगहों के बारे में। जी दरअसल हम बात कर रहे हैं तेलंगाना के पोचमपल्ली, मेघालय के कोंगथोंग गांव और मध्य प्रदेश के लाधपुरा खास गांव के बारे में। आप सभी को बता दें कि बीते वर्ष इन तीनों गांवों को यूनाइटेड नेशन्‍स वर्ल्‍ड टूरिज्‍म ऑर्गेनाइजेशन अवॉर्ड के लिए बेस्‍ट टूरिज्‍म विलेज की कैटेगरी में नॉमिनेट किया जा चुका है। आइए जानते हैं इनकी विशेष बातों को। 

पोचमपल्‍ली गांव- हैदराबाद से लगभग 40 किलोमीटर दूर तेलंगाना के नलगोंडा जिले का पोचमपल्‍ली गांव अपनी बुनाई शैली और इकत साड़ियों के लिए जाना जाता है। आप सभी को बता दें कि पोचमपल्ली को रेशम का शहर माना जाता है इस वजह से ये गांव सिल्‍क सिटी के नाम से भी विख्यात है। जी हाँ और इस गांव में 10 हजार हरकरघे हैं और यहां की साड़ि‍यां भारत समेत श्रीलंका, मलेशिया, दुबई, यूरोप और फ्रांस समेत कई देशों में भेजी जाती हैं।

कोंगथोंग गांव- शिलॉन्ग से लगभग 60 किलोमीटर दूर स्थित कोंगथोंग गांव अपने प्राकृतिक सौंदर्य और विशिष्ट संस्कृति के लिए बहुत लोकप्रिय है। यहाँ सुंदर पहाड़ों, झरनों और देवदार के पेड़ों से घिरी घाटी बेहतरीन लगती है। केवल यही नहीं बल्कि यहां बच्चे का नाम नहीं रखा जाता। जन्म के समय मां के दिल से जो भी धुन निकलती है, वो धुन उसे सौंप दी जाती है। वहीं उसके बाद जीवनभर उस बच्चे को उसी धुन से पुकारा जाता है। इस गाँव को ‘व्हिस्लिंग विलेज’ के नाम से भी जाना जाता है।

लाधपुरा खास गांव- लाधपुरा खास गांव मध्य प्रदेश टीकमगढ़ जिले की ओरछा तहसील में है। आपको बता दें कि ओरछा आने वाले पर्यटक इस गाँव में जाते हैं और यहाँ एक अलग ही वातावरण देखने को मिलता है। यहां का शांत, शुद्ध और प्राकृतिक वातावरण लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहाँ प्राचीन साम्राज्य और अवशेषों के बारे में जानकारी मिलती है। इसी के साथ ही पारंपरिक खान-पान और पहनावे से यहां की संस्कृति से भी परिचय होता है।

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker