एक साल तक पड़ेगी महंगाई की मार! रिजर्व बैंक ने कहा-फिलहाल काबू में नहीं हालात

दिल्‍ली. रिजर्व बैंक ने इस बार मौद्रिक नीति समिति की बैठक (RBI MPC Meeting) में भले ही रेपो रेट में कम वृद्धि कर कर्ज पर राहत का संकेत दिया है, लेकिन महंगाई डायन का मुंह अगले एक साल तक बंद होने वाला नहीं है. आरबीआई गवर्नर ने एमपीसी बैठक के बाद कहा, फिलहाल महंगाई पर काबू पाना संभव नहीं है और अगले 12 महीने तक खुदरा महंगाई की दर 4 फीसदी के ऊपर ही बनी रहेगी.

केंद्रीय बैंक ने कहा कि खाद्य महंगाई दर भले ही नीचे आ रही है, लेकिन बुनियादी उत्‍पादों की महंगाई दर अभी चिंता का विषय बनी हुई है. सीमेंट, कोयला, बिजली, जैसे बुनियादी उत्‍पादों की महंगाई दर ज्‍यादा होने से ओवरऑल दबाव कम नहीं हो रहा है. यही कारण है कि खुदरा महंगाई दर में हालिया गिरावट के बावजूद चालू वित्‍तवर्ष के लिए महंगाई का अनुमान 6.7 फीसदी पर बरकरार रखा है.

12 महीने तक राहत की उम्‍मीद नहीं
बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने साफ कहा कि खुदरा महंगाई से फिलहाल 12 महीने तक खास राहत की उम्‍मीद नहीं है. चालू वित्‍तवर्ष की तीसरी तिमाही में खुदरा महंगाई दर का अनुमान 6.6 फीसदी बताया है तो चौथी तिमाही में इसके 5.9 फीसदी रहने का आसार है. इससे पहले आरबीआई ने तीसरी तिमाही के लिए 6.4 फीसदी और चौथी तिमाही के लिए 5.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. इतना ही नहीं चालू वित्‍तवर्ष की दूसरी तिमाही के लिए पहले 7.1 फीसदी का अनुमान था.

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अगले बजट वित्‍तवर्ष भी रुलाएगी महंगाई
गवर्नर दास ने बताया कि चालू वित्‍तवर्ष 2022-23 में खुदरा महंगाई के ऊपर बने रहने के साथ अगले वित्‍तवर्ष में भी यह आम आदमी को रुलाएगी. 2023-24 की पहली तिमाही में खुदरा महंगाई दर 5 फीसदी रहने का अनुमान है, जबकि दूसरी तिमाही में यह बढ़कर 5.4 फीसदी पहुंचने का अनुमान है. गौरतलब है कि आरबीआई ने खुदरा महंगाई की दर 4 से 6 फीसदी के दायरे में लाने का लक्ष्‍य रखा है.

अर्जुन की तरह लक्ष्‍य पर निगाह- दास
गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि अभी महंगाई भले ही हमे परेशान कर रही है, लेकिन हमारी निगाह अर्जुन की तरह अपने लक्ष्‍य पर टिकी हुई है. महंगाई के साथ हमारी लड़ाई जारी रहेगी और हम जरूरत पर आगे भी सख्‍त कदम उठाने से नहीं हिचकिचाएंगे. गौरतलब है कि अक्‍टूबर में खुदरा महंगाई की दर 6.77 फीसदी रही थी. यह लगातार 10वां महीना था जबकि खुदरा महंगाई की दर आरबीआई के तय 6 फीसदी के दायरे से बाहर थी.

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