भारत में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू, किसी को पूजा पद्धति बदलने की जरूरत नहीं
अंबिकापुर: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत (Rashtriya Swayamsevak Sangh, RSS Chief Mohan Bhagwat) ने मंगलवार को कहा कि भारत में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू है। किसी को भी पूजा करने के तरीके को बदलने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सब रास्ते एक ही जगह जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सभी भारतीयों का डीएनए एक है। प्राचीन अखंड भारत का जो भूभाग था उसमें रहने वाले सभी लोगों के सबके पूर्वज समान हैं। हमारे पूर्वजों ने हमें अपनी अपनी पूजा पद्धति पर कायम रखना सिखाया है। वह छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के मुख्यालय अंबिकापुर में स्वयंसेवकों (संघ के स्वयंसेवकों) के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
#WATCH सबके पूर्वज समान हैं, 40,000 वर्ष पहले से जो भारत था, काबुल के पश्चिम से छिंदविन नदी की पूर्व तक और चीन की तरफ की ढलान से श्रीलंका के दक्षिण तक जो मानव समूह आज है उनका DNA 40,000 वर्षों से समान है और तबसे हमारे पूर्वज समान हैं: RSS प्रमुख मोहन भागवत pic.twitter.com/Sqnm5ocUFT
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 15, 2022
समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक भागवत ने कहा कि विविधता में एकता भारत की सदियों पुरानी विशेषता है। एक मात्र हिंदुत्व नाम का विचार दुनिया में ऐसा है जो सभी को साथ लेने में विश्वास करता है। हम 1925 से कह रहे हैं कि भारत में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू है। हिंदुत्व ने सब विविधताओं को हजारों वर्षों से भारत की भूमि में एक साथ चलाया है, यह सत्य है और इस सत्य को बोलना है और डंके की चोट पर बोलना है। जो भारत को अपनी माता मानता है, मातृभूमि मानता है, जो भारत में विविधता में एकता वाली संस्कृति को जीना चाहता है, उसके लिए प्रयास करता है, वह पूजा किसी भी तरह से करे, भाषा कोई भी बोले, खानपान, रीति-रिवाज कोई भी हो, वह हिंदू है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हम सभी के पूर्वज समान है। विज्ञान डीएनए मैपिंग के बाद कहता है कि 40 हजार साल पहले जो अखंड भारत था, काबुल के पश्चिम से छिंदविन नदी के पूरब तक और तिब्बत की उत्तर की ढ़लान से श्रीलंका के दक्षिण तक, इसमें रहने वाले मानव समूह का डीएनए एक समान है। 40 हजार साल पहले से हमारे पूर्वज समान है। हमको उन पूर्वजों ने यही सिखाया कि अपनी अपनी पूजा पद्धति पर पक्के रहना चाहिए। उन्होंने हमें सिखाया कि अपनी भाषा का विकास करो। हमें अपने अपने खान पान रीति रिवाज पर पक्के रहना चाहिए।
मोहन भागवत ने कहा कि संघ का काम हिंदुत्व के विचार के अनुसार व्यक्ति और राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण करना और लोगों में एकता को बढ़ावा देना है। सभी के विश्वास और संस्कारों का सम्मान करें, सबको स्वीकार करें और अपने रास्ते पर चलें। अपनी इच्छा पूरी करे, लेकिन इतना स्वार्थी मत बनें कि दूसरों की भलाई का ध्यान न रहे। हमारी संस्कृति हमें जोड़ती है। हम आपस में कितना भी लड़ लें, संकट के समय हम एक हो जाते हैं। जब देश पर किसी तरह की मुसीबत आती है तो हम साथ मिलकर लड़ते हैं। कोरोना महामारी के दौरान इससे निपटने के लिए पूरा देश एक होकर खड़ा हो गया। संघ का मकसद सत्य के मार्ग पर चलते हुए लोगों को जोड़ना और समाज को मजबूत बनाना है।
संघ प्रमुख ने कहा कि बेदों के काल से लोग अलग अलग पूजा पद्धतियों, धर्मों और मतों में विश्वास करते रहे हैं। संघ जैसा आज कोई दूसरा नहीं है, संघ को जानना है तो किसी बात से तुलना करके नहीं जान सकते हैं। संघ का काम समझना है, तो तुलना करके इसे नहीं समझ सकते हैं, गलतफहमी होने की संभावना होती है। संघ के बारे में पढ़ लिखकर अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता है। संघ को समझना है तो संघ में आना चाहिए, इससे आप संघ को भीतर से देख सकते हैं, खुद के अनुभव से संघ समझ में आता है। संघ का उद्देश्य लोकप्रियता हासिल करना नहीं है।