कानून ताक पर रख दिए जाएं?
मैं बहस में नहीं पड़ना चाहता। तुलनात्मक दृष्टि से पर्यावरण प्रबन्ध एक नया विषय है। यह सही है कि हमारे पास धन की कमी है, यह भी सही है कि हमारे पास प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी है। प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए हम एक क्रियाविधि, एक मशीनरी का विकास करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। यहां पर तीन चीजों का विकास करना होगा, एक उपयुक्त क्रियाविधि, दूसरा, उपयुक्त विधान या कानून। तीसरी बात यह है कि पर्यावरण समस्याओं के बारे में लोगों को जागृत करना और शिक्षा देना। पर्यावरण प्रबंध सिर्फ इसी देश के लिए एक नया विषय नहीं है, सारे विश्व के लिए नया है, क्योंकि तुलनात्मक दृष्टि से यह एक नया विषय है, जिस पर आजकल ध्यान दिया जा रहा है।
इस प्रकार, हम एक तरीके का विकास करने और इस देश को एक उपयुक्त विधान देने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि वातावरण अथवा वायु को प्रदूषित करने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर निवारक प्रभाव हो सके। …हम अपनी कठिनाइयों से अवगत हैं। हमें इस बात की भी जानकारी है कि हमारे पास धन की कमी है, हमारे राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास धन की कमी है। हमें इस बात की भी जानकारी है कि हमारे पास प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी है। इस क्षेत्र में अभी बहुत कुछ किया जाना है। परन्तु इसका यह अर्थ नहीं है कि हमें कुछ नहीं करना चाहिए। क्या मेरे माननीय मित्र डॉक्टर दत्ता सामंत का यही सुझाव है कि इन सभी कानूनों को ताक पर रख दिया जाए और इस देश का वातावरण और वायु प्रदूषित होता रहे?…
यह कोई नया कानून नहीं है। …इस विधेयक का मुख्य लक्ष्य पुराने अधिनियम को और कठोर बनाना और हालात में सुधार करना और उन सभी कठिनाइयों को दूर करना है, जो मूल अधिनियमों के क्रियान्वयन में आती हैं। …दिए गए अधिकार के बारे में मुद्दा उठाया गया है। यह वह अधिकार है, जो पर्यावरण संरक्षण अधिनियम में भी दिया गया है। हमने सोचा कि जब यह अधिकार पर्यावरण संरक्षण अधिनियम में दिया गया है, तो इसे वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम के अन्तर्गत भी दिया जाना चाहिए, ताकि यदि कोई व्यक्ति यह महसूस करता है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड चाहे वह राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हो अथवा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हो, प्रदूषण करने वाले उद्योगों के विरुद्ध कार्यवाही नहीं कर रहा है, तो उसे शिकायत करने का अधिकार होना चाहिए, क्योंकि प्रदूषण से उसके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।…पर्यावरण संरक्षण अधिनियम में 60 दिन के नोटिस की व्यवस्था की गई है। एक विशेष उद्देश्य से ऐसा किया गया है। …नागरिक के बजाय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का यह कर्तव्य बन जाता है कि न्यायालय में उस फेक्टरी के विरुद्ध मुकदमा दायर करे। …प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड निजी शिकायतकर्ता को सभी सम्बंधित सूचनाएं देने के लिए बाध्य होगा।