बढ़ते पॉल्यूशन से बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा खतरा, डॉक्टर से जानें बचाव के तरीके
Delhi:देश की राजधानी दिल्ली इन दिनों प्रदूषण की वजह से बेहाल है. दिल्ली-एनसीआर में एयर क्वालिटी की स्थिति खराब बनी हुई है. इसका सीधा असर लोगों की सेहत पर पड़ना शुरू हो गया है. सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों, बुजुर्गों और सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों को उठाना पड़ रही है. दिवाली के बाद से अस्पतालों में सांस संबंधी बीमारियों की शिकायत लेकर पहुंचने वाले मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो गया है. डॉक्टर्स बच्चों और बुजुर्गों को घरों से बाहर न निकलने की सलाह भी दे रहे हैं.
LNJP हॉस्पिटल में भी सांस संबंधी परेशानियों से जूझ रहे मरीजों की संख्या में इजाफा हो गया है. सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल होने से यहां रोजाना हजारों मरीज ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचते हैं, इनमें से कई लोग अब सांस संबंधी परेशानियां लेकर आने लगे हैं. LNJP हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. सुरेश कुमार कहते हैं कि हर साल जब भी हवा की गुणवत्ता खराब होती है तो अस्थमा और जिन लोगों के फेफड़े खराब हैं उन मरीजों के अस्पताल आने की संख्या बढ़ जाती है. जब पॉल्यूशन बढ़ जाता है तो इनमें से कई लोगों को भर्ती भी करना पड़ता है.
बच्चे, बुजुर्गों को सावधानी बरतने की सलाह
बढ़ते प्रदूषण के बीच डॉ. सुरेश कुमार ऐसे हालात में खास तौर पर बच्चों और बुजुर्गों को एहतियात बरतने की सलाह देते हैं. वे आगे कहते हैं कि बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर बच्चे और बुजुर्ग बेवजह घर से बाहर न निकलें. इसके साथ ही बढ़ता पॉल्यूशन चेन स्मोकर्स के लिए भी खतरे की घंटी हो सकता है और उन्हें सांस संबंधी समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
डॉ. सुरेश कुमार आगे कहते हैं कि अस्पताल में रोजाना सांस संबंधी 15-20 मरीज पहुंच रहे हैं, इनमें से 2-3 मरीजों को भर्ती भी करना पड़ रहा है.
इन बातों का रखें ख्याल
प्रदूषण बढ़ने के बाद चाहे मरीज हो या स्वस्थ्य व्यक्ति सभी की हालत खराब हो जाती है. ऐसे में दिल्ली में बढ़े एयर पॉल्यूशन के चलते डॉ. सुरेश कुमार सभी लोगों को मास्क अनिवार्य तौर पर लगाने की सलाह दे रहे हैं. मास्क नाक और मुंह के माध्यम से धूल कणों को शरीर में जाने से रोकता है. इसके साथ बेवजह घर से बाहर घूमना भी नुकसान पहुंचा सकता है