सड़क, सीवर सिस्टम और ट्रैफिक कुछ भी स्मार्ट नहीं, स्मार्ट सिटी की होर्डिंग लगवाकर जनप्रतिनिधियों ने लूटा श्रेय

देहरादून: करीब पांच साल पहले देहरादून शहर का नाम स्मार्ट सिटी में शामिल होते ही शहरवासियों में खुशी की लहर दौड़ गई थी। पूरे शहर में होर्डिंग विज्ञापन लगवाकर जनप्रतिनिधियों ने इसका श्रेय लूटा और चुनाव में भी फायदा उठाया। लेकिन धरातल पर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का काम देखें तो सड़क, नाली, सीवर सिस्टम, ट्रैफिक अब तक कुछ भी स्मार्ट नहीं है। निर्माण कार्यों की धीमी रफ्तार और खराब गुणवत्ता के चलते जैसे स्मार्ट सिटी का सपना टूटने की कगार पर है। इसकी सबसे बड़ी वजह शुरुआत में आनन फानन में ठेकेदारों का चयन करना है।

कंपनियों के पास मशीनों और श्रमिकों की कमी
शुरुआत में जिन अफसरों के पास स्मार्ट सिटी की कमान रही, उन्होंने आनन फानन में टेंडर करवाने पर पूरा जोर दिया। सूत्रों की मानें तो ऐसी कंपनियों ने साठगांठ से काम ले लिए, जिनके पास पर्याप्त मशीनों और श्रमिकों की व्यवस्था तक नहीं है। बड़े शहरों में काम करने का अनुभव ही नहीं है। यही कारण है कि बीते दिनों थक हारकर सरकार को दो बड़ी निजी कंपनियों से सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्टों स्मार्ट रोड, ड्रेनेज और चाइल्ड फ्रेंडली सिटी प्रोजेक्ट काम वापस लेना पड़ा। इस निर्णय के बाद कम से कम तीन से चार माह यह काम पीछे खिसक जाएगा। पलटन बाजार, परेड ग्राउंड के सौंदर्यीकरण में शुरू में लापरवाही बरती गई। व्यापारी गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाते रहे। राजपुर रोड पर नालों से जुड़ा कार्य ठप पड़ा है। वार्डों में सीवर और पेयजल लाइनों की लीकेज से जनता परेशान है। उधर, मेयर सुनील उनियाल गामा व विधायकों के खुद स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार और निर्माण कार्य की घटिया गुणवत्ता को लेकर जांच की मांग से यह मुद्दा गर्मा गया है।

उत्तराखंड पुलिस के ‘स्पेशल ऑपरेशन’ शुरू होने से पहले मचा बवाल, डीजीपी ने किया हैंडल

इन प्रोजेक्टों का काम हुआ पूरा 
स्मार्ट स्कूल, देहरादून इंटीग्रेटिड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर, स्मार्ट टॉयलेट, ई कलक्ट्रेट, क्रेच बिल्डिंग, इलेक्ट्रिक बस। जबकि ग्रीन बिल्डिंग और चकराता रोड पर स्मार्ट रोड का काम अभी शुरू नहीं हो पाया।

प्रमुख योजनाओं का हाल, इतना काम हो पाया

स्मार्ट रोड 35 प्रतिशत

पलटन बाजार सौंदर्यीकरण 50 प्रतिशत

परेड ग्राउंड सौंदर्यीकरण 50 प्रतिशत

ड्रेनेज व सीवर लाइन कार्य 30 प्रतिशत

मॉडर्न दून लाइब्रेरी भवन 80 प्रतिशत

स्मार्ट वाटर मैनेजमेंट 80 प्रतिशत

टाइल भी टूट रही हैं

सूत्रों के मुताबिक कंपनियों द्वारा जो टाइलें इस्तेमाल में लाई जा रही हैं, वह जल्द टूट रही हैं। रंग फीका पड़ रहा है। शासन तक शिकायत पहुंची कि अनुबंध में दर्शाई गई निर्माण सामग्री के इतर मौके पर घटिया पाइप और अन्य सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी वजह से जगह जगह लीकेज हो रही है। टाइलें उखड़ रही हैं।

स्मार्ट सिटी की सीईओ, सोनिका ने बताया कि, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का शेष कार्य पूरा करवाने के लिए संबंधित विभागों ने टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है। लापरवाही बरतने पर दो कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है। निर्माण कार्य की गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं होगा।

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker