लखनऊ में बुखार का प्रकोप, बेड को लेकर अस्पतालों में मारामारी जैसे हालात
लखनऊ: लखनऊ में बुखार का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। सरकारी अस्पतालों की इमरजेंसी में बेड को लेकर मारामारी मची है। मेडिसिन वार्ड के 90 से 95 फीसदी बेड फुल हैं। कई अस्पतालों में तो जनरल सर्जरी विभाग में भी बुखार के मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। मरीजों का दबाव बढ़ने से ओपीडी की सेवाएं भी लड़खड़ा गई हैं। डॉक्टर की सलाह से लेकर जांच व दवा के लिए मरीजों को एक से दो घंटे कतार में लगना पड़ रहा है। सोमवार को हिन्दुस्तान टीम ने शहर के पांच अस्पतालों की व्यवस्थाओं को देखा। पेश है रिपोर्ट….
सिविल अस्पताल
मेडिसिन विभाग के सभी बेड बुखार पीड़ितों से भरे हैं। जनरल सर्जरी विभाग में बुखार पीड़ित भर्ती किए जा रहे हैं। इमरजेंसी में भी मरीजों का दबाव है। ज्यादातर बेड भरे रहते हैं। प्राथमिक इलाज के बाद दिन में तीन से चार बार मरीजों को वार्ड में शिफ्ट किया जा रहा है। ओपीडी की सेवाएं भी लड़खड़ा गई हैं। मरीजों को पर्याप्त दवाएं तक नहीं मिल पा रही हैं।
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बलरामपुर अस्पताल
756 बेड के अस्पताल के ज्यादातर बेड भरे हैं। इमरजेंसी में एक-एक बेड को लेकर मारामारी है। 90 फीसदी बुखार पीड़ितों से मेडिसिन वार्ड भरे हैं। पैथोलॉजी जांच के लिए सुबह से कतारे लग जाती हैं। हालात यह है कि रोजाना 200 से अधिक बुखार पीड़ित जांच करा रहे हैं। डेंगू की आशंका में बड़ी संख्या में मरीज अस्पताल में भर्ती हैं। डॉक्टरों का कहना है कि डेंगू का खौफ लोगों में अधिक है। जबकि बुखार का प्रकोप ज्यादा है।
लोकबंधु अस्पताल
300 बेड के अस्पताल में 90 फीसदी से ज्यादा बेड भरे हैं। बुखार के 100 से अधिक मरीज अस्पताल में भर्ती हैं। मेडिसिन विभाग में कुल 15 बेड ही खाली बचे हैं। ओपीडी में सुबह आठ बजे से अफरा-तफरी का माहौल रहता है। सबसे ज्यादा मेडिसिन विभाग में दिखाने को लेकर मारामारी रहती है। सुबह करीब 10 बजे पैथोलॉजी जांच कराने में मरीजों को पसीना आ रहा है।
लोहिया संस्थान
इमरजेंसी में मरीजों का जबरदस्त दबाव है। हालात यह है कि करीब 40 बेड की इमरजेंसी के सभी बेड भरे रहते हैं। सोमवार रात आठ बजे 10 से अधिक मरीजों का इलाज स्ट्रेचर पर इलाज चल रहा था। इसमें बुखार पीड़ितों की संख्या सबसे अधिक थीं। सुबह करीब साढ़े 10 बजे ओपीडी में पर्चा बनवाने के लिए लंबी कतार थी। मेडिसिन विभाग में डॉक्टर की सलाह से लेकर दवा काउंटर तक में भीड़ थी। बुखार से तप रहे बहुत से मरीज लाइन में लगने से बचने के लिए बाहर से दवा खरीदने को मजबूर दिखे। मेडिसिन विभाग के भी ज्यादातर बेड भरे थे।
भाऊराव देवरस अस्पताल
अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 1200 से अधिक मरीज आ रहे हैं। इसमें लगभग 143 मरीज बुखार पीड़ित आएं। सुबह करीब 11 बजे ओपीडी में डॉक्टर के कमरे के बाहर लाइन लगी थी। खून की जांच काउंटर का भी यही हाल था। अस्पताल में बुखार पीड़ितों को सभी दवाएं नहीं मिल रही थीं। मरीज परिसर में खुले प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र में जाकर दवाएं खरीदते नजर आएं।
15 दिन में ठीक हो रही समस्या
बुखार ने मरीजों को बेदम कर दिया है। तेज बुखार से तप रहे मरीजों के शरीर में भीषण दर्द हो रहा है। कई मरीजों के जोड़ों में सूजन भी है। थकान और कुछ भी खाने का मन नहीं कर रहा है। जांच में डेंगू व मलेरिया की पुष्टि नहीं हो रही है। चौकाने वाली बात यह है कि बुखार में तेजी से प्लेटलेट्स काउंटर कम हो रहा है। साथ ही शरीर में संक्रमण के खतरें को बताने वाले टीएलसी में भी घट रही है।
केजीएमयू मेडिसिन विभाग के डॉ. केके सावलानी बताते हैं कि बुखार संग शरीर में भीषण दर्द और जोड़ों में सूजन चिकनगुनिया के लक्षण हैं। ज्यादातर मरीज बुखार आने के दो से तीन दिन में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया समेत दूसरी जांच करा रहे हैं। जबकि चिकनगुनिया की सटीक पहचान बुखार आने के कम से कम एक सप्ताह बाद होती है। लिहाजा डॉक्टर की सलाह पर जांच कराएं। वे बताते हैं कि चिकनगुनिया भी कई मरीजों में देखने को मिला है। डॉ. सावलानी बताते हैं कि डेंगू के मुकाबले चिकनगुनिया कम घातक है। पर, इसमें बदन दर्द बहुत होता है। 10 से 15 दिन में मरीज को राहत मिलती है।