केरल में कुबेर मंदिर पर बद्रीनाथ में क्यों मचा बवाल? सनातन परंपरा पर कैसे हो रहा आघात, पढ़ें पूरी खबर

चमोली : देवप्रयाग के तीर्थ पुरोहित समाज ने बद्रीनाथ धाम में भगवान कुबेर से जुड़ी सनातन परंपराओं को तोड़ने के प्रयास की खबर सोशल मीडिया में वायरल हो रहा था. पहले तो देवप्रयाग के तीर्थ पुरोहित समाज ने इसका विरोध किया. अब इस मामले में ताजा अपडेट यह है कि इस संबंध में बद्रीनाथ धाम के मुख्य रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी के माध्यम से पुलिस और प्रशासन को पत्र भेज कर कार्रवाई की मांग की है.

इस मामले पर तीर्थ पुरोहित समाज का रुख स्पष्ट करते हुए मुख्य पुजारी रावल जी ने बताया कि जिले पालाकाडू में जलवारा नामक स्थान पर एक कुबेर जी का मंदिर बनाया हुआ है जहां पर कुबेर जी की मूर्ति स्थापित की गई है. पिछले वर्ष वहां अप्रैल माह में कुबेर यज्ञ का आयोजन किया गया था. जिसमें मुझे भी निमंत्रण दिया गया था; और मैं वहां गया था जिसके बाद वहां उद्घाटन हुआ. उद्घाटन के अवसर पर पांडुकेश्वर के कुछ लोग व टिहरी महाराजा का एक प्रतिनिधि भी वहां पहुंचे थे.

कम्मदी थोक के अध्यक्ष जगदीश पंवार का कहना है कि में स्वयं केरल गया था जहां किसी व्यक्ति द्वारा अपने घर में कुबेर का मंदिर बनाया गया है. जिस दिन से वहां कुबेर यज्ञ हुआ उसी दिन से उस व्यक्ति द्वारा लोगों को कुबेर जी की शीतकालीन पूजा स्थली को लेकर भ्रमित किया जा रहा था. लेकिन, अब उस व्यक्ति द्वारा कुबेर जी के नाम से किसी भी तरह की कोई गलत गतिविधियां की जाती है तो समस्त ग्रामवासी उस व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दायर कर उच्च न्यायालय तक जाएंगे.

बता दें कि केरल के जिला पालाकाडू स्थित चालावरा स्थान पर दो वर्ष पूर्व केरल के एक परिवार ने भगवान कुबेर का मंदिर बनावाया था. उन्होंने मंदिर में कुबेर भगवान की सोने की मूर्ति स्थापित की. अब वह परिवार कुबेर भगवान की उस सोने की मूर्ति को बद्रीनाथ धाम लेकर आना चाहते हैं.

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मिली जानकारी के अनुसार, शीतकाल प्रवास के दौरान वह परिवार उस सोने की मूर्ति को अपने साथ वापस केरल ले जाने का प्रचार प्रसार भी कर रहे हैं. पंडा पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि प्राचीन परंपरा अनुसार भगवान कुबेर छह माह बद्रीनाथ तथा छह माह पांडुकेशवर में निवास करते हैं. इसके अलावा भगवान कुबेर को कहीं और नहीं ले जाया जा सकता है.

युवा पुरोहित संगठन अध्यक्ष श्रीकांत बडोला ने कहा कि निजी स्वार्थों के चलते केरल के इस परिवार के ऐसे कृत्य का विरोध किया जाएगा. साथ ही सरकार से ऐसे कार्य को रोकने की मांग भी की जाएगी. उन्होंने बताया कि उत्तर रामायण में भगवान कुबेर के रावण के भय से उत्तर दिशा अलकापुरी में बसने का भी उल्लेख है. बद्रीनाथ में युगों से भगवान कुबेर की पूजा होती आ रही है और इस सनातन परंपरा को बदलने की किसी भी कोशिश का विरोध किया जाएगा.

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