श्रीलंकाई प्रधानमंत्री ने भारत को बताया ‘सबसे करीबी दोस्त’; जल्द ही आर्थिक हालात सुधरने का जताया भरोसा

कोलंबो: श्रीलंका की राजनीति के दिग्गज 72 वर्षीय दिनेश गुणवर्धने अपनी सीधी-सादी बातों के लिए जाने जाते हैं. वह पूर्व प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के करीबी विश्वासपात्र हैं. उन्होंने संयुक्त विपक्षी नेता के रूप में, 2015 और 2019 के बीच मैत्रीपाला सिरिसेना और रानिल विक्रमसिंघे के शासन के दौरान विपक्ष के झंडे को ऊंचा रखा. भाग्य के एक झटके से, वह अब राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के अधीन श्रीलंका के प्रधानमंत्री के रूप में काम कर रहे हैं, जिनके खिलाफ विपक्ष में रहते हुए उन्होंने दशकों तक राजनीतिक लड़ाई लड़ी. दिलचस्प बात यह है कि गुनावर्धने और विक्रमसिंघे दोनों ने 50 साल पहले कोलंबो के प्रतिष्ठित रॉयल कॉलेज में एक साथ पढ़ाई की थी. रानिल विक्रमसिंघे को जहां एक मुक्त अर्थव्यवस्था समर्थक के रूप में जाना जाता है, वहीं दिनेश गुणवर्धने की पहचान समाजवादी विचारधारा वाले राष्ट्रवादी राजनेता की है.

संयुक्त राज्य अमेरिका और नीदरलैंड में शिक्षित, दिनेश गुणवर्धने एक ट्रेड यूनियन नेता और अपने महान पिता फिलिप गुनावर्धने की तरह एक मजबूत राजनीतिक लड़ाके हैं, जिन्हें श्रीलंका में समाजवाद के जनक के रूप में जाना जाता है. फिलिप गुनावर्धने का भारत के प्रति प्रेम और साम्राज्यवादी अधीनता के खिलाफ स्वतंत्रता की दिशा में प्रयास 1920 के दशक की शुरुआत में अमेरिका में शुरू हुए. वह विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय में जयप्रकाश नारायण और वीके कृष्ण मेनन के सहपाठी थे, जहां उन्होंने अमेरिकी राजनीतिक हलकों में साम्राज्यवाद से स्वतंत्रता की वकालत की, और बाद में लंदन में भारत की साम्राज्यवाद विरोधी लीग का नेतृत्व किया. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उनके परिवार का भारत से घनिष्ठ संबंध है और पूरे परिवार का नई दिल्ली के प्रति समर्थन है.

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द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान श्रीलंका (तब सीलोन नामक एक ब्रिटिश उपनिवेश) से बचकर निकलने के बाद प्रधानमंत्री दिनेश गुनावर्धने के पिता फिलिप और मां कुसुमा भारत में आ गए थे. वे उन भूमिगत कार्यकर्ताओं में शामिल हो गए थे जो आजादी के लिए लड़ रहे थे और कुछ समय के लिए गिरफ्तारी से बच गए थे. उन दोनों को 1943 में, ब्रिटिश खुफिया विभाग ने पकड़ लिया, उन्हें बॉम्बे की आर्थर रोड जेल में रखा गया. एक साल बाद, दोनों को श्रीलंका भेज दिया गया और युद्ध की समाप्ति के बाद ही रिहा किया गया. कोलंबो में अपने कार्यालय में विशेष बातचीत में, दिनेश गुणवर्धने ने मजबूत भारत-लंका संबंधों की वकालत की और आशा व्यक्त की कि श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था जल्द से जल्द पुनर्जीवित होगी.

भारत के साथ श्रीलंका के संबंधों पर क्या बोले प्रधानमंत्री गुनावर्धने?
प्रधानमंत्री दिनेश गुनावर्धने ने कहा, भारत-श्रीलंका संबंध सदियों पुराने हैं. हम अपने सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को सबसे मजबूत आधार के रूप में देखते हैं. हमारे बीच ये संबंध रहे हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आदान-प्रदान हुआ है…धार्मिक आयोजनों ने इसे मजबूत करने में योगदान दिया है. दोनों देशों में नागरिकों की भागीदारी बहुत बड़ी है. जैसा कि आपने बताया, पिछली दो शताब्दियों में हमारे स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं के बीच अच्छे संबंध रहे हैं और उन्होंने श्रीलंका के आंदोलनों को ताकत दी है. श्रीलंकाई भी मदद के लिए भारत गए हैं. जब वे पढ़ाई कर रहे थे, तब वे दोस्त बन गए या जब वे विदेश में थे, तब दोस्त के रूप में मिले. द्वितीय विश्व युद्ध से पहले हमारी शिक्षा प्रणाली भारत से प्रभावित थी. अधिकांश लोग उच्च शिक्षा के लिए या तो बंबई या कलकत्ता (अब मुंबई और कोलकाता) या शिक्षा के अन्य केंद्रों में गए.

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