उच्च न्यायालय ने बीएमसी से उद्धव की पार्टी की उम्मीदवार का इस्तीफा स्वीकार करने को कहा

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को ऋतुजा लटके का इस्तीफा स्वीकार करने का निर्देश दिया। इस फैसले से अंधेरी (पूर्व) विधानसभा उपचुनाव के लिए उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना गुट की उम्मीदवार के तौर पर लटके के पर्चा भरने का मार्ग प्रशस्त हो गया। उपचुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख 14 अक्टूबर है। लटके ने 2 सितंबर को बीएमसी को एक पत्र सौंपा था, जहां वह 2006 से क्लर्क के रूप में कार्यरत थीं।

पत्र में अनुरोध किया गया था कि कुछ सेवा शर्तों में ढील दी जाए ताकि वह 3 नवंबर का उपचुनाव लड़ सकें। बीएमसी द्वारा 29 सितंबर को अनुरोध खारिज कर दिए करने के बाद, लटके ने दो अक्टूबर को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके बाद उन्होंने यह आरोप लगाते हुए अदालत का रुख किया कि बीएमसी अपने फैसले में जानबूझकर देरी कर रही है ताकि उन्हें चुनाव लड़ने से रोका जा सके।

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निर्वाचन आयोग के नियमों के अनुसार, कोई सरकारी कर्मचारी तब तक चुनाव लड़ने के लिए नामांकन दाखिल नहीं कर सकता जब तक कि उसका इस्तीफा स्वीकार नहीं कर लिया जाता। न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख की पीठ ने कहा कि बीएमसी आयुक्त द्वारा इस मामले में इस्तीफे पर निर्णय के संबंध में विवेकाधिकार का इस्तेमाल करना या न करना ‘‘मनमाना और दुर्भावनापूर्ण’’ था।

अदालत ने कहा, ‘‘निगम आयुक्त के पास इस्तीफा स्वीकार करने और नोटिस अवधि को माफ करने की विवेकाधीन शक्ति है। हमारे अनुसार विवेकाधिकार का उपयोग वास्तविक उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए। इस मामले में विवेकाधिकार का उपयोग या गैर-उपयोग मनमाना और दुर्भावनापूर्ण है।’’ पीठ ने बीएमसी के संबंधित अधिकारी को शुक्रवार पूर्वाह्न 11 बजे तक इस्तीफा स्वीकार करने और उचित पत्र जारी करने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति जामदार ने कहा, ‘‘वह (लटके) आपकी (बीएमसी) कर्मचारी हैं। आपको उनकी मदद करनी चाहिए। यदि कोई कर्मचारी इस्तीफा देकर चुनाव लड़ना चाहता है तो क्या परेशानी है? याचिकाकर्ता क्लर्क है। निगम आयुक्त अपने विवेकाधिकार का प्रयोग कर निर्णय क्यों नहीं ले रहे हैं?’’ अदालत ने कहा, ‘‘क्लर्क इस्तीफा देना चाहती हैं, बस हां या ना कहें। इसे इतना तूल मत दीजिए। हम पर बोझ न डालें, हमारे पास पहले से ही कई मामले लंबित हैं।’’

पीठ ने बीएमसी को एक हलफनामा दाखिल करने के लिए भी कहा और मामले को 20 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया। पीठ ने कहा कि यह विवाद पहले अदालत में नहीं आना चाहिए था क्योंकि यह ‘‘नियोक्ता-कर्मचारी विवाद’’ है। इससे पहले, उच्च न्यायालय ने बीएमसी के वकील अनिल सखारे को सूचित करने के लिए कहा था कि क्या बीएमसी इस्तीफे पर निर्णय लेने के लिए तैयार है। बीएमसी से निर्देश लेने के बाद, सखारे ने कहा कि निगम तत्काल निर्णय नहीं ले सकता क्योंकि उसे एक शिकायत मिली थी जिसमें लटके पर भ्रष्टाचार, रिश्वत लेने के आरोप लगाए गए थे।

वकील ने कहा, ‘‘हमें इस शिकायत की जांच करनी होगी और उसके बाद ही हम कोई फैसला ले सकते हैं।’’ लेकिन अदालत ने कहा कि यह शिकायत महज एक दिन पहले, 12 अक्टूबर को दर्ज की गई थी। लटके के वकील विश्वजीत सावंत ने शिकायत दर्ज करने के पीछे की मंशा पर सवाल उठाए। अधिवक्ता सावंत ने कहा, ‘‘बीएमसी को भेदभाव और राजनीतिक तरफदारी नहीं करनी चाहिए। लेकिन वे अब ठीक वैसा ही कर रहे हैं।’’ सावंत ने अदालत को बताया कि उनकी मुवक्किल के खिलाफ कोई बकाया या पूछताछ लंबित नहीं है।

लटके की याचिका में आरोप लगाया गया है कि उनका इस्तीफा स्वीकार करने में इसलिए जानबूझकर देरी की जा रही ताकि उपचुनाव लड़ने से उन्हें रोका जा सके। लटके के पति और शिवसेना के विधायक रमेश लटके के निधन के कारण अंधरी (पूर्व) सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है। ऋतुजा लटके ने यह भी कहा कि वह मशाल चुनाव चिह्न के साथ उपचुनाव लड़ेंगी। याचिका में राजनीतिक दल का जिक्र नहीं किया गया, लेकिन यह चुनाव चिह्न ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को दिया गया था।

अंधेरी (पूर्व) उपचुनाव जून में शिवसेना के विभाजन के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट की पहली चुनावी परीक्षा है। महा विकास आघाड़ी के अन्य दो घटक-कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने ‘शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ पार्टी को समर्थन देने का वादा किया है। भाजपा के मुरजी पटेल को मैदान में उतारने की संभावना है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के अलग हुए धड़े ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ ने अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। अदालत के बाहर पत्रकारों से बातचीत में ऋतुजा लटके ने फैसले का स्वागत किया और कहा कि उन्हें न्याय मिला है।

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