पालघर लिंचिंग की जांच करेगी CBI? शिंदे सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- कोई आपत्ति नहीं

दिल्लीः महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि 2020 के पालघर लिंचिंग मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने में कोई आपत्ति नहीं है। अप्रैल 2020 में महाराष्ट्र के पालघर में एक उन्मादी भीड़ द्वारा दो हिंदू संतों की हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद तत्कालीन उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ भारी आक्रोश पैदा कर दिया था। एक हलफनामे में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि वह सीबीआई को जांच सौंपने के लिए तैयार है और उसे इस पर कोई आपत्ति नहीं होगी।

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16 अप्रैल, 2020 को मुंबई से 140 किमी उत्तर में पालघर जिले के गडचिंचले में भीड़ द्वारा 70 वर्षीय चिकने महाराज कल्पवृक्षगिरी और सुशीलगिरी महाराज के साथ ही उनके ड्राइवर नीलेश तेलगड़े को भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मार डाला गया था। दरअसल, पालघर में जिस जगह पर मॉब लिचिंग की घटना हुई थी, वहां लॉकडाउन के बाद से लोग दिन रात लगातार खुद पहरेदारी कर रहे थे। इलाके में चोर, डाकुओं के घूमने की अफवाह थी। डिसके  बाद मॉब लिचिंग के घटनास्थल से 30 किलोमीटर दूर एक गांव में ग्रामीणों ने शक के आधार पर कुछ लोगों पर हमला किया था। 

मामले की विभागीय जांच शुरू होने के बाद 18 पुलिस अधिकारियों को दंडित किया गया। एक सहायक पुलिस निरीक्षक को बर्खास्त कर दिया गया है, जबकि एक अन्य सहायक पुलिस उप निरीक्षक और एक चालक को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया गया है। घटना के संबंध में हत्या, सशस्त्र दंगा और अन्य आरोपों से संबंधित कुल तीन प्राथमिकी दर्ज की गईं थी। ठाणे की एक सत्र अदालत ने पिछले साल जनवरी में इस मामले में 89 आरोपियों को जमानत दे दी थी। केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता नारायण राणे ने महाराष्ट्र सरकार पर 2020 के पालघर मॉब लिंचिंग मामले की जांच सीबीआई को हस्तांतरित करने पर कहा कि मामले की जांच होनी चाहिए और सच्चाई सामने आनी चाहिए।

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