सभी कोरोना प्रतिबंध हटे लेकिन दिल्‍ली मेट्रो में घट गए यात्री, क्‍या है वजह?

दिल्‍ली :भारत सहित दिल्‍ली में कोरोना के मामलों में अब काफी कमी देखी जा रही है. ओमिक्रोन वेरिएंट (Omicron Variant) की वजह से आए कोरोना के हल्‍के लक्षणों वाले मरीजों के चलते दिल्‍ली सहित बाकी सभी जगहों पर कोरोना प्रतिबंधों (Corona Restrictions) में पहले ही ढ़ील दी जा चुकी है. वहीं अब बाजार, स्‍कूल, कॉलेज, दफ्तर, कंपनियों से लेकर अन्‍य सभी सेवाएं शुरू की जा चुकी हैं. यहां तक कि दिल्‍ली मेट्रो में भी कोई कोरोना प्रतिबंध नहीं है लेकिन दिलचस्‍प बात है कि कोरोना के मामले घटने, प्रतिबंध खत्‍म होने और सभी सेवाएं शुरू होने के बावजूद भी दिल्‍ली मेट्रो (Delhi Metro) में यात्रियों की संख्‍या पहले से काफी घट गई है.

दिल्‍ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की ओर से मिले आंकड़े बताते हैं कि मेट्रो ट्रेनों में प्री कोविड टाइम यानि कोरोना से पहले के समय में मेट्रो ट्रेनों में सफर करने वाली भीड़ आज गायब है. भर-भर कर चलने वाली मेट्रो ट्रेनों में अब चुनिंदा लोग ही सफर करते दिखाई दे रहे हैं. पीक आवर्स में भी ट्रेनों में यात्रियों (Metro Passengers) की इतनी संख्‍या नहीं दिखाई दे रही जितनी क‍ि नॉन पीक ऑवर्स में रहती थी. आंकड़ों के मुताबिक कोरोना से पहले के मुकाबले आज मेट्रो ट्रेनों में रोजाना करीब 15 लाख यात्री कम सफर कर रहे हैं. ऐसे में यात्रियों की संख्‍या में करीब 25 फीसदी की कमी देखी जा रही है.

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डीएमआरसी से मिला डाटा बताता है कि प्री कोविड समय में मेट्रो में रोजाना औसतन 61 लाख से ज्‍यादा यात्री सफर करते थे. अब जबकि कोई कोरोना प्रतिबंध नहीं है इसके बावजूद मेट्रो ट्रेनों में सितंबर के महीने में रोजाना औसतन 46 लाख यात्री सफर कर रहे हैं. ऐसे में करीब 70-75 फीसदी ही यात्री आज मेट्रो में लौट पाए हैं. जबकि मेट्रो के 25 फीसदी यात्री अभी भी सफर नहीं कर रहे हैं. डीएमआरसी का कहना है कि मेट्रो में यात्रियों की संख्‍या घटने से मेट्रो का रेवेन्‍यू घटा है. हालांकि मेट्रो में यात्रियों की संख्‍या कम क्‍यों हुई है इसकी कोई विशेष वजह सामने नहीं आई है लेकिन कंपनियों के वर्क फ्रॉम होम कल्‍चर के चलते भी यात्री कम हुए हैं.

अभी चल रही हैं करीब 300 मेट्रो ट्रेनें 
डीएमआरसी की ओर से बताया गया कि अभी भी प्री कोविड समय की बराबर ही करीब 300 मेट्रो ट्रेनें चल रही हैं. हालांकि पीक आवर्स में इन्‍हीं ट्रेनों की फ्रीक्‍वेंसी बढ़ा दी जाती है जबकि नॉन पीक ऑवर्स में मेट्रो यात्रियों की संख्‍या कम होने के चलते फ्रीक्‍वेंसी को थोड़ा कम किया जाता है. हालांकि इस समय पीक और नॉन पीक आवर्स दोनों में ही या

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