यूपी-उत्तराखंड के बीच फंसा नौटियाल परिवार का मुआवजा, 29 साल से कर रहा इंतजार  

देहरादून : यूपी और उत्तराखंड के बीच संपत्तियों का विवाद भले ही दोनों सरकारों ने सुलझा लिया हो, लेकिन देहरादून के नौटियाल परिवार का मुआवजा अब भी दो राज्यों के बीच उलझा हुआ है। सरकारी ट्यूबवेल लगाने के लिए जमीन देने के बाद पिछले 29 साल से किसान परिवार मुआवजे की लड़ाई लड़ रहा है।

प्रेमनगर के उमेदपुर ईस्ट होपटाउन निवासी और आजाद हिंद फौज के सिपाही रहे गोविंद राम नौटियाल ने 1993 में गांव में सिंचाई की खातिर अपनी जमीन सरकार को दी थी। इसके बाद विभाग ने ट्यूबवेल लगा दिया और आश्वासन दिया कि एक साल में मुआवजा दे दिया जाएगा।

जब ऐसा न हुआ तो गोविंद ने पत्राचार शुरू किया। दफ्तरों के चक्कर काटे, यूपी की तत्कालीन सीएम को भी पत्र लिखे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। 2000 में यूपी से अलग होकर जब उत्तराखंड बना तो उन्हें उम्मीद जगी कि अब अपने राज्य में उनकी सुनवाई होगी, लेकिन उनके हिस्से निराशा ही हाथ आई।

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समय बीतता गया और कुछ साल पहले गोविंद राम नौटियाल का निधन हो गया। अब उनके बेटे सुरेशानंद, कैलाश चंद्र और विजय प्रकाश इस लड़ाई को लड़ रहे हैं। कैलाश चंद्र और विजय प्रकाश सेना से रिटायर होकर खेती-किसानी कर रहे हैं। उनका कहना है कि पूर्व सैनिक होने के बावजूद उनकी सुनवाई नहीं हो रही है।

अभिलेख नहीं दिए: गोविंद राम के सबसे छोटे बेटे विजय प्रकाश ने इस मामले में आरटीआई लगाई। आरोप है कि नलकूप खंड देहरादून ने पूरी जानकारी नहीं दी। विभाग ने यह तो स्वीकारा कि 1994 में तत्कालीन नलकूप खंड सहारनपुर ने उमेदपुर में नलकूप-77 डीडी लगाया, लेकिन वह भूमि अधिग्रहण और मुआवजे के अभिलेख उपलब्ध नहीं करा रहा है।

नलकूप खंड से अधूरी सूचना मिलने के बाद नौटियाल ने सूचना आयोग में अपील की, जिस पर सुनवाई जारी है। नहीं माने निर्देश:28-29 साल में यूपी से लेकर उत्तराखंड सरकार को किए गए सैकड़ों पत्राचार की मोटी पोथी नौटियाल परिवार के पास है। 1994 से अब तक यूपी और उत्तराखंड में जितने भी सिंचाई मंत्री रहे, उन्हें पत्र लिखा गया।

इन मंत्रियों ने अफसरों को निर्देश भी दिए थे, लेकिन अफसरों ने इनका पालन नहीं किया। 2002 में तत्कालीन सिंचाई मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण और 2004 में तत्कालीन राज्यमंत्री साधुराम ने मुख्य अभियंता और अधिशासी अभियंता को पत्र लिखकर मुआवजा दिलाने के निर्देश दिए। आरोप है कि अफसरों ने इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया।

यह मामला काफी पुराना है, जिसमें अभिलेखों की जांच चल रही है। स्थिति स्पष्ट होने के बाद भुगतान होगा। हाल ही में विभाग की ओर से मौका-मुआयना किया गया था।

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