पाकिस्तानी सिग्नल की घुसपैठ रोकने की पूरी तैयारी, सीमा पर ‘पहरेदारी’ में लगे टावर
श्रीनगर : भारत सरकार ने सीमांत इलाकों में अपना नेटवर्क मजबूत करने का काम शुरू कर दिया है. अंतरराष्ट्रीय सीमा हो या फिर नियंत्रण रेखा, दूरदराज के सीमांत इलाकों में नए टावर लगाने का काम जारी है, इससे आम लोगों को अपने मोबाइल नेटवर्क का लाभ मिलने लगा है. पहले अधिकांश सीमांत इलाकों में पाकिस्तानी कंपनियों के सिग्नल आते थे, एफएम रेडियो चलते थे जिससे आम लोगों को भारत के खिलाफ पाकिस्तान के झूठे प्रचार और प्रोपेगेंडा सुनने को मिलता था, लेकिन अब इन पर अकुंश लगने की पूरी तैयारी कर ली गई है.
दरअसल गृह मंत्रालय के पास अक्सर ऐसी शिकायतें मिलती थीं कि सीमावर्ती इलाकों में पाकिस्तानी सिग्नल आते हैं और रेडियो पर पाकिस्तानी चैनल चलते हैं. इससे स्थानीय लोगों की सोच पर गलत असर पड़ता है. दूसरी ओर पाकिस्तानी सिग्नल का लाभ आईएसआई और पाकिस्तानी सेना भी उठाती थीं और सीमा पार से लगातार घुसपैठ को अंजाम दिया जाता है. वहीं हाल के वर्षों में ड्रोन से हथियार भेजने का सिलसिला भी बढ़ा है. सीमा पार से आने वाले ड्रोन भारतीय इलाके में हथियार और मादक पदार्थ गिरा देते हैं. और पाकिस्तानी सिग्नल पर यहां बैठे ग्राउंड वर्कर सीमा पार बात कर अपने आकाओं को संदेश देते हैं कि डिलीवरी मिल गई है या सामान पकड़ा गया है.
सीमावर्ती इलाकों में टावर लगाने की खास बातें
इन इलाकों में पाकिस्तानी मोबाइल कंपनियों जैज, टेलनोर आदि के ज्यादा सिग्नल आते थे. एमएम चैनल 102 पर झूठा प्रचार प्रसारित किया जाता था. ड्रोन की मूवमेंट को ट्रैक किया जाता था. ओवरग्राउंड वर्करों के जरिए संपर्क में रहती थी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई. हथियारों की डिलीवरी के लिए एजेंट इन्हीं सिग्नलों के जरिए लोकेशन बताते थे.
पाकिस्तान का नापाक मंसूबा
दरअसल पाकिस्तान ने एक सोची समझी साजिश के तहत अपने सिग्नलों की रेंज को बढ़ाया था. इसके तहत पाकिस्तानी सेना ने अपनी ऊंचाई वाली पोस्टों तक टावर स्थापित करवाए थे, ताकि उनके एजेंट लगातार संपर्क में रहे और उनसे जो भी बातचीत होती थी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी, उसी रणनीति पर काम करना शुरू कर देती थी. एलओसी पर तैनात भारतीय सेना के एक अधिकारी ने बताया कि सीमा पार से घुसपैठ की कोशिशें होती रहती हैं, क्योंकि उनके गाइड अक्सर भारतीय इलाके में बैठे ओवर ग्राउंड वर्करों के संपर्क में होते हैं और उन्हीं का लाभ उनको मिलता है. लेकिन, भारतीय सेना ने कई बार इन सिग्नलों को पकड़ा है और उनको नुकसान भी पहुंचाया है. सीमावर्ती इलाके के लोगों को सिग्नल कम मिलने की वजह से कोई भी महत्वपूर्ण जानकारी आगे फॉरवर्ड करने में परेशानी आती थी.
इन इलाकों में बढ़ गए टावर
जम्मू और कश्मीर के कठुआ जिले के हीरानगर सेक्टर, सांबा जिले के रामगढ़ सेक्टर, जम्मू जिले के अरनिया और शिब्बू चक्क सेक्टर समेत आर एस पुरा, परगवाल और अखनूर के सीमांत गावों में अब टावरों का नेटवर्क बढ़ने लगा है. लोगों के मोबाइल पर घंटियां बजना शुरू हो गई हैं. दरअसल कोरोना काल में भी लोगों को काफी दिक्कत हुई थी, लेकिन अब एलओसी पर सुंदरबनी सेक्टर के सीमांत गांवों, राजौरी के नौशेरा सेक्टर, डींग कलाल सेक्टर, केरी सेक्टर, पुंछ के मेंढर सेक्टर और दिगवार सेक्टर में अब भारतीय मोबाइल कंपनियों के नेटवर्क आने लगे हैं. साथ ही पाकिस्तानी सिग्नल भी आना कम हो गए हैं.
थम गया पाकिस्तानी चैनलों का झूठा प्रचार
नौशेरा सेक्टर के आखिरी गांव कलाल में एक सैटेलाइट टावर लगाया गया है, जो सौर ऊर्जा से चलता है. स्थानीय सरपंच रोमेश चौधरी ने बताया कि ‘इस टावर के लगने से पाकिस्तानी सिग्नल आना कम हो गए हैं. स्थानीय लोगों को अब अपने सिग्नल मिल रहे हैं. मोबाइल चल रहा है. कभी-कभी टावर बंद हो जाता है, लेकिन हमारी कोशिश रहती है कि इसे जल्दी ठीक करवाया जाए ताकि लोगों को सुविधा मिलती रहे.’ सीमावर्ती इलाकों में भारतीय नेटवर्क पहुंचने से अब पाकिस्तानी एफएम रेडियो चैनलों के झूठे प्रचार का शोर भी थमने लगा है.