उत्तराखंड में शुरू हुआ ‘ऑपरेशन मुक्ति’, बच्चों ने बताई भीख मांगने की वजह!
देहरादून : उत्तराखंड में बच्चों की भिक्षावृत्ति के खिलाफ पुलिस द्वारा ‘ऑपरेशन मुक्ति’ अभियान चलाया जा रहा है. अभियान के तहत सड़कों पर भिक्षा मांगने वाले बच्चों को भिक्षा से हटाकर शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ना है. आर्थिक रूप से निर्बल, बेसहारा बच्चों को भिक्षावृत्ति के मार्ग से हटाकर शिक्षा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करने की पहल की. इस मिशन को “ऑपरेशन मुक्ति” का नाम दिया गया.
सोनू (काल्पनिक नाम) ने बताया कि उनकी मां बचपन में ही चल बसी थीं. पिता बीमार होने के कारण ज्यादा काम नहीं कर पाते हैं. इसलिए ही उसे भीख मांगनी पड़ती है. सोनू ने बताया कि वह कहीं काम भी नहीं कर सकता है क्योंकि उसकी उम्र कम है ,उससे आधार कार्ड मांगा जाता है जो उसके पास नहीं है. उनका घर नहीं है, उन्हें फुटपाथ पर ही सोते हैं. एक एनजीओ की गाड़ी पढ़ाने आती है तो पढ़ने लगता है. सोनू पढ़ लिखकर कुछ बनना तो चाहता है, लेकिन उसके हालात उसे भीख मांगने पर मजबूर करते हैं.
बिपश के ठिकानों पर छापा : धर्मांतरण का शक, चर्च फॉर नार्थ इंडिया जांच एजेंसियों के रडार पर
साल 2019 में उत्तराखंड पुलिस और बाल संरक्षण आयोग ने ऑपरेशन मुक्ति चलाया था, जिसमें सड़कों पर भीख मांगने वाले बच्चों का सत्यापन कर उन्हें भीख मांगने से रोका गया और शिक्षा के प्रति जागरूक किया गया. कई बच्चों के सरकारी स्कूलों में दाखिले भी करवाए गए.
बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना का कहना है कि जो बच्चे सड़कों पर भीख मांग रहे हैं. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि हमने उनके माता-पिता को समझाने की बहुत कोशिश की. लेकिन थोड़े से पैसे के चक्कर में बच्चों को भिक्षावृत्ति में धकेला जा रहा है. हमें सोचना होगा कि कैसे हम इस बुराई से लड़े?वहीं समाजसेवी अरुण कुमार यादव का कहना है कि सबसे पहले हम सभी लोगों को यह समझना होगा कि बच्चों को भी नहीं देनी है. अगर उनके लिए कुछ करना है तो हम उन्हें जितना हो सके शिक्षा के प्रति जागरूक करें और कोशिश करें कि अपनी जिंदगी में कम से कम एक ऐसे बच्चे को जरूर पढ़ाने की कोशिश करें.