‘जमीन के बदले जमीन’ को लेकर ग्रामीणों ने दी जलसमाधि की चेतावनी,
टिहरी: उत्तराखंड के टिहरी के ग्रामीणों ने आंदोलन शुरू कर दिया है. लोगों की मांग है कि टिहरी डैम की झील में डूबी जमीन के बदले उन्हें जमीन दिया जाए. ग्रामीण इसको लेकर झील किनारे आंदोलन कर रहे हैं. ग्रामीणों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं कि गई तो वो जल समाधि दे देंगे. प्रशासन ने ग्रामीणों को समझाइश देते हुए, रिपोर्ट शासन स्तर पर ऊपर भेजने की बात कही. लेकिन ग्रामीण जमीन के बदले जमीन की मांग को लेकर अड़े हुए हैं.
दरअसल टिहरी डैम की झील से तिवाड़ और मरोड़ा गांव के ग्रामीणों का की जमीनें प्रभावित हुई हैं. झील में ग्रामीणों की जमीनें डूबी हुई हैं. जिसको लेकर तिवाड़ और मरोड़ा गांव के ग्रामीणों ने झील किनारे आंदोलन शुरू कर दिया है. ग्रामीणों ने जमीन के बदले जमीन की मांग की है. मांग पूरी नहीं होने पर, ग्रामीण जल समाधि की चेतावनी दे रहे हैं.
जलसमाधि की दी चेतावनी
आपको बता दें कि टिहरी डैम की झील के कारण 2004 में तिवाड़ और मरोड़ा गांव के ग्रामीणों की 40 से 50 फीसदी कृषि भूमि झील में डूब गई थी. आंशिक डूब क्षेत्र होने के कारण गांव का पुनर्वास नहीं हो सका. यहां करीब 30 परिवारों की 240 नाली भूमि, पुनर्वास विभाग से आवंटित की जानी थी. सर्वे के अनुसार, गौरन गांव के समीप 540 नाली भूमि और कोटी कॉलोनी में 250 नाली भूमि खाली पड़ी है. जिसे तिवाड़ और मरोड़ा के ग्रामीणों को दिया जाना चाहिए, लेकिन सालों से जमीन के बदले जमीन की मांग कर रहे ग्रामीण अब टिहरी झील के किनारे क्रमिक अनशन पर बैठ गए हैं. ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि जल्द मांग पूरी नहीं होने पर वो जल समाधि लेंगे.
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लगातार बढ़ रहा झील का जलस्तर
सालों से टीएचडीसी और पुर्नवास विभाग के चक्कर काट रहे ग्रामीण अब अनशन को मजबूर हैं. प्रशासन की तरफ से उनकी मांगों को लेकर शासन में रिपोर्ट भेजने की बात कही जा रही. वहीं टीएचडीसी को झील का जलस्तर 830 मीटर भरे जाने की परमिशन है. जहां पर ग्रामीण बैठे हैं, वहां अभी टिहरी झील का जलस्तर 827 मीटर पहुंच गया है. धीरे धीरे झील का जलस्तर बढ़ रहा है लेकिन ग्रामीण भी अब आर पार की लड़ाई का मन बना चुके हैं.