Teacher’s Day : बैलगाड़ी से स्कूल तक पहुंचाई किताबें, बच्चों को सिखाया आगे बढ़ना
MP : नीरज जब पहली बार प्राथमिक शाला सालेगढ़ पहुंचे तो स्कूल तक जाने का रास्ता देखकर हैरान रह गए थे. वहां तक पहुंचने का कोई साधन ही नहीं था. उन्हें इसके लिए रोज 4-5 किलोमीटर पैदल जाना पड़ता था. उनके पास पैदल जाने के अलावा दूसरा रास्ता था बैलगाड़ी से जाना. स्कूल के चारों तरफ सिर्फ जंगल ही जंगल था और वहां मात्र 22 छात्र थे.
नीरज से पहले जितने भी शिक्षक रायसेन जिले के बाड़ी ब्लॉक की सालेगढ़ प्राथमिक शाला आए, उन सभी ने यहां से अपना ट्रांसफर करा लिया. नीरज का मन भी गांव की हालत देख डगमगा गया था, लेकिन पिता के समझाने के बाद उन्होंने मन में बदलाव किया और स्कूल को आदर्श स्कूल बनाने की मुहिम शुरू की.
उन्होंने स्कूल से बच्चों को जोड़ने के लिए अभिभावकों को जागरूक किया. घर-घर जाकर लोगों को शिक्षा का महत्व बताया. स्कूल के पास लगी जमीन पर पार्क तैयार कर 1500 से 2000 पेड़ लगाए. पेडों पर सभी विषयों के साथ शैक्षणिक सामग्री के बोर्ड लगाए. गणित से लेकर सामान्य ज्ञान के भी बोर्ड लगाए. प्रदेश के साथ देश की सारी जानकारियां बोर्ड पर लिखीं. इससे बच्चे खेलते-खेलते सीखते चले गए और सभी बच्चों की शिक्षा के प्रति रुचि पहले के मुकाबले बढ़ने लगी.
इस मामले में नीरज का कहना है कि खेल-खेल में सीखने वाला बच्चा कभी भूलता नहीं है. आज इस स्कूल में 113 से ज्यादा बच्चे हैं. इनमें 54 लड़के और 59 लड़कियां हैं. नीरज ने बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए अनसॉल्व्ड पेपर्स बनाए, ताकि बच्चों का चयन सैनिक स्कूल, नवोदय स्कूल, कन्या परिसर छात्रवास में हो सके. वे बच्चों के मन में अभी से प्रतियोगी परीक्षाओं की अलख जगाने की कोशिश कर रहे हैं.
प्राथमिक शाला सालेगढ़ अब आदर्श स्कूल बन गया है. प्राथमिक स्कूल को नीरज ने स्मार्ट स्कूल से भी बेहतर मॉडल बनाया है. नीरज के इन्हीं प्रयासों को देखकर इस्पात मंत्रालय ने उन पर डॉक्यूमेंट्री तैयार की और नीरज को ब्रांड एंबेसडर भी बनाया. शिक्षा की अलख जगाने के लिए शिक्षक नीरज शिक्षक दिवस पर राष्टपति पुरस्कार से सम्मानित होंगे. उनका कहना है कि यह गर्व का पल है. उन्होंने कहा कि हम जितना बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देंगे, उतना देश मजबूत होगा.