इस बार भोपाल में विराजेंगे इको फ्रेंडली गणेश, विसर्जन के बाद भी रहेंगे साथ
भोपाल. विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश अपने भक्तों के घर कुछ ही दिनों में आने वाले हैं. इस बार उनका उत्सव भी बेहद खास है. क्योंकि, राजधानी भोपाल में महिलाओं ने गोबर की खास ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं का निर्माण किया है. मान्यताओं के अनुसार ये प्रतिमाएं पवित्र तो हैं ही, साथ ही विसर्जन के बाद भी हमेशा आपके साथ ही रहेंगे. दरअसल इन गणेश प्रतिमाओं को देसी गाय के गोबर, लकड़ी के बुरादे से तैयार किया गया है, जो पूरी तरह से प्राकृतिक है. इतना ही नहीं भगवान का खूबसूरत श्रृंगार भी प्राकृतिक रंगों से ही किया गया है. गणेश उत्सव के बाद आप इन प्रतिमाओं का विसर्जन बड़ी आसानी से घर के गमलों में कर सकते हैं. इसके बाद वे पौधे के लिए खाद का काम भी करेंगे.
कुछ साल पहले तक प्लास्टर ऑफ पेरिस की चमचमाती हुई मूर्तियां देशभर में चलन में थीं. भोपाल में भी यह मूर्तियां खूब बिकती थीं, लेकिन प्लास्टर ऑफ पेरिस से पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचता है. इसलिए प्रशासन द्वारा इन मूर्तियों पर बैन लगा दिया गया. इसके साथ ही कई जागरूकता कैंपेन भी चलाए गए. इसका असर यह हुआ कि अब लोग ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं की मांग कर रहे हैं. गोबर से गणेश प्रतिमाएं बनाने वाली कांता यादव बताती हैं कि वह अब तक 1 हजार से ज्यादा मूर्तियां तैयार कर चुकी हैं. भक्त न सिर्फ भोपाल में बल्कि अन्य शहरों और मध्य प्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों में भी इसकी खासी मांग कर रहे हैं.
देसी गाय के गोबर से बनी प्रतिमाएं
गणेश जी की प्रतिमा बनाने के लिए सबसे पहले गाय के गोबर को धूप में सुखाया जाता है और गोबर को पीस कर उसका पावडर बनाया जाता है. गोबर पावडर को बारीक छान कर उसमें लकड़ी पावडर मिलाया जाता है और सांचे और हाथों से गणेश प्रतिमा को तैयार किया जाता है. गर्मी के मौसम में ही गणेश जी की मूर्ति बनाने का काम शुरू कर दिया जाता है.
गणेश उत्सव को लेकर गजब का उत्साह
31 अगस्त से पूरे देश में गणेश उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा. राजधानी भोपाल समेत मध्य प्रदेश में भी गणेश उत्सव के लिए लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है. बाजार में गणेश प्रतिमाओं के साथ फूल मालाओं और पूजन सामग्री की दुकानें भी सज गई हैं लेकिन इस बार गणेश उत्सव के साथ पर्यावरण संरक्षण का भी खासा ध्यान रखा जा रहा है.