दरियादिली! ल्यूकेमिया से हार गया बेटा, पिता ने स्टेम सेल डोनेट कर बचाई बच्ची की जान,पढ़े पूरी खबर
अहमदाबाद. गुजरात के कच्छ के इस पिता ने ऐसी दरियादिली दिखाई की आप भी इन्हें सलाम करेंगे. पिता ने 2021 में ल्यूकेमिया से जूझ रही एक बच्ची के जीवन को बचाने के लिए स्टेम सेल दान किया. 45 वर्षीय किशोर पटेल 2004 का वह दिन कभी नहीं भूल सकते जब उनके केवल एक साल नौ महीने के बेटे मोहित की मौत उनकी गोद में हो गई. मोहित ब्लड कैंसर से अपनी जंग हार गया. पटेल परिवार जो अमेरिका में डॉक्टरों तक पहुंचने के लिए तैयार थे, थर्ड स्टेज में उन्हें कैंसर का पता चला था. मोहित पर दवाओं ने भी असर करना बंद कर दिया था.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार मोहित पटेल परिवार का पहला बच्चा था. पिता किशोर कहते हैं उसकी जान बचाने में सक्षम नहीं होने की लाचारी मुझे दिन-रात कचोटती है. किशोर आगे कहते हैं वह एक गहरी नींद में सोया और फिर कभी नहीं उठा.
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पटेल जब दूसरे परिवार की बच्ची को बचाने का जरिया बने तो अपने बेटे की मौत के 17 साल बाद आखिरकार वह इस सदमे से बाहर निकल पाए. किशोर कहते हैं मैंने 2021 में ल्यूकेमिया से जूझ रही एक बच्ची के जीवन को बचाने के लिए स्टेम सेल दान किया था. मैं इसे ईश्वरीय हस्तक्षेप के रूप में देखता हूं. इसने मुझे अन्य बच्चों के जीवन को बचाने के लिए स्टेम सेल दान के लिए एक जरिया बनने के लिए भी प्रेरित किया.
किशोर ने दिसंबर 2020 में इस उद्देश्य के लिए अपना स्टेम सेल दान करने का निर्णय किया था जब कोविड महामारी का खतरा मंडरा रहा था. किशोर ने कहा कि भगवान ने मुझे बच्चे के जीवन में बदलाव लाने के लिए माध्यम बनाया.
रक्त कैंसर, थैलेसीमिया और अन्य रक्त विकारों के बारे में जागरूकता पैदा करने और स्टेम सेल दान को बढ़ावा देने के लिए स्थापित फाउंडेशन डीकेएमएस-बीएमएसटी के अधिकारियों ने कहा कि ट्रांसप्लांट सफल रहा और वे निर्धारित समय के बाद मरीज का विवरण साझा करने में सक्षम होंगे.
2017 में डीकेएमएस-बीएमएसटी के एक कार्यक्रम में उन्हें स्टेम सेल डोनेशन के बारे में पता चला और उन्होंने अपने खून के सैंपल के साथ खुद को रजिस्टर किया. उन्हें दिसंबर 2020 में फाउंडेशन की ओर से डोनेट करने का फोन आया और वह तुरंत राजी हो गए. किशोर का परिवार कच्छ के नखत्राणा गांव में रहता है. फिलहाल वह लकड़ी के कारोबार के लिए बेंगलुरु आते जाते रहते हैं.