परमाणु सौदे को लेकर पश्चिमी देशों और ईरान के बीच कई सालों से गतिरोध जारी,61 अमेरिकियों पर लगाए प्रतिबंध
दिल्ली: ईरान ने शनिवार को कहा कि उसने देश के एक असंतुष्ट समूह का समर्थन करने के लिए पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ सहित 61 और अमेरिकियों पर प्रतिबंध लगा दिये हैं. ईरान की ओर से यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जबकि 2015 के परमाणु समझौते को फिर से पटरी पर लाने के लिए बातचीत कई महीनों से रुकी हुई है. ईरान की सरकारी मीडिया ने बताया कि इससे पहले निर्वासित असंतुष्ट समूह मुजाहिदीन-ए-खल्क (एमईके) के समर्थन के लिए ईरान के विदेश मंत्रालय द्वारा ब्लैकलिस्ट किए गए अन्य लोगों में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के वकील रूडी गिउलिआनी और व्हाइट हाउस के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन शामिल थे.
अतीत में दर्जनों अमेरिकियों के खिलाफ विभिन्न आधारों पर जारी किए गए प्रतिबंधों ने ईरानी अधिकारियों को ईरान में उनके पास मौजूद किसी भी संपत्ति को जब्त करने का अधिकार दे दिया, लेकिन ऐसी संपत्तियों की मौजूदगी लगभग ना के बराबर है. इसका साफ मतलब है कि ईरान का यद कदम महज अमेरिका को ‘दिखाने’ के लिए ही होगा. ईरान को यह सूचना मिली है कि गिउलिआनी, पोम्पिओ और बोल्टन ना सिर्फ ‘असंतुष्ट’ एमईके के कार्यक्रमों में भाग लेते हैं, बल्कि समूह के लिए आवाज भी उठाते हैं. जनवरी में ईरान ने 51 अमेरिकियों पर प्रतिबंध लगाए थे और फिर बाद में उसने अप्रैल में अपने नवीनतम प्रतिबंध के तहत 24 और अमेरिकियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया था.
दूसरी ओर, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शनिवार को कहा कि अमेरिका पश्चिम एशिया को अलग-थलग नहीं छोड़ेगा क्योंकि वह दुनिया के एक अस्थिर क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करने और गैस की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए दुनियाभर में तेल के प्रवाह को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है. बाइडेन ने चार दिवसीय पश्चिम एशिया दौरे के अंतिम चरण में खाड़ी सहयोग परिषद के शिखर सम्मेलन में कहा, ‘हम पश्चिम एशिया का साथ नहीं छोड़ेंगे. हम इस क्षण को अमेरिकी नेतृत्व के साथ सक्रिय और सैद्धांतिक बनाने की कोशिश करेंगे.’