12 साल के बच्चे ने घर में पड़े रद्दी सामान से बना डाला जेसीबी
दिल्लीः किसी ने ठीक ही कहा है कि ‘हुनर किसी का मोहताज नहीं होता’. प्रतिभा के लिए ना किसी डिग्री की और ना ही उम्र की जरूरत होती है. इन्हीं बातों को चरितार्थ कर दिखाया है कपकोट के दूरस्थ और दुर्गम गांव में रहने वाले 12 साल के हरीश कोरंगा ने. हरीश का गांव आज भी फोन नेटवर्क कवरेज से बाहर है. सीमित संसाधनों में जिंदगी गुजर-बसर कर रहे हरीश को बचपन से ही जो हाथ लगे उसी से जोड़-तोड़ करके तकनीक सीखने की आदत है. जब भी घर वाले उसे खिलौने दिलाते हैं, वह उसकी तकनीक को जानने के लिए उत्सुक रहता है.
हरीश के पिता कुंदन कोरंगा जेसीबी ऑपरेटर हैं. हरीश कई बार पिता के साथ जेसीबी देखने गया और अपनी जिज्ञासा से जेसीबी की तकनीकी पर काम किया. इसके बाद कुछ ही समय में उसने घरेलू सामग्री, बेकार मेडिकल इंजेक्शन, कॉपियों के गत्ते, पेटी, आइसक्रीम की डंडियों से हाइड्रोलिक पद्धति पर आधारित ऐसी जेसीबी मशीन बना दी कि देखने वाला हर व्यक्ति दांतों तले उंगलिया दबाने को विवश हो गया.
बागेश्वर के दूरस्थ क्षेत्र स्थित भनार के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले सातवीं कक्षा के विद्यार्थी का हुनर देख लोग दंग रह गए. हरीश की प्रतिभा को देखकर लोग उसकी पीठ थपथपा रहे हैं. रद्दी सामान से बनाई गई जेसीबी अन्य विद्यार्थियों के लिए भी एक सीख बनी हुई है.