80 शहरो में मानक से कम मिलता है पानी,जानें बाकि शहरों का हाल

दिल्लीः उत्तराखंड में 80 शहर ऐसे हैं, जहां पानी पर्याप्त मानकों के अनुरूप नहीं है। बस 20 शहर ही ऐसे हैं, जहां पानी 135 एलपीसीडी के मानक अनुरूप है। इन 80 शहरों की 30 लाख से अधिक आबादी के पास तय मानकों के अनुसार नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में 6.46 लाख घर ऐसे हैं, जहां अभी तक भी पानी के नल घर तक नहीं पहुंचे हैं। 

राज्य में करीब 100 शहर हैं। इनमें नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत वाले शहर शामिल हैं। इन 100 शहरों से 80 शहरों में अभी भी पानी 40 एलपीसीडी से लेकर 110 एलपीसीडी के बीच लोगों तक पहुंच रहा है। जबकि डब्ल्यूएचओ का मानक है कि प्रत्येक आदमी के लिए एक दिन में पानी की सप्लाई 135 लीटर होनी चाहिए।

इसी को ध्यान में रखकर पेयजल की योजनाएं बननी चाहिए। राज्य में 20 लाख के करीब ही ऐसी आबादी है, जिसे 135 एलपीसीडी के तय मानक के अनुरूप पानी मिलना चाहिए। राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 15.18 लाख घर हैं। इनमें से 6.46 लाख घर ऐसे हैं, जहां अभी तक नल नहीं पहुंचे हैं। 8.71 लाख घरों तक नल लगाए जा चुके हैं। शेष 6.46 लाख घरों तक नल पहुंचाने को करीब 80 योजनाओं के टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

देहरादून। राज्य में रेन वॉटर हारवेस्टिंग की योजना कागजों तक ही सीमित है। शहरों में विकास प्राधिकरणों से नक्शा पास करने के दौरान साफ किया जाता है कि घरों में रेन वॉटर हारवेस्टिंग अनिवार्य है। नक्शे में रेन वॉटर हारवेस्टिंग का प्रावधान किया जाता है। इसी शर्त पर नक्शा पास होता है। 

जल संस्थान ने सरकारी कार्यालयों में जरूर रेन वॉटर हारवेस्टिंग को बढ़ावा दिया है। बड़ी संख्या में सरकारी कार्यालयों में रेन वॉटर हारवेस्टिंग की व्यवस्था की गई है। देहरादून में ही करीब 50 सरकारी बिल्डिंगों में रेन वॉटर हारवेस्टिंग का सिस्टम डेवलप किया गया है। 

राज्य में तेजी के साथ जल स्रोत सूखते जा रहे हैं। राज्य में मौजूदा समय में 4624 जल स्रोत हैं। इनमें 3453 गधेरे और 1171 ्पि्ररंग हैं। इनमें 461 स्रोत ऐसे हैं, जो 75 से 100 प्रतिशत तक सूख गए हैं।

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