पुष्कर सिंह धामी डीडीहाट या फिर चंपावत से लड़ सकते हैं उप चुनाव

दिल्लीः मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पिथौरागढ़ जिले की डीडीहाट या चंपावत सीट से उप चुनाव लड़ सकते हैं। पार्टी नेता, ये दोनों सीटें उनके लिए मुफीद मानकर चल रहे हैं। हालांकि, कपकोट और लालकुआं सीट से भी उनके चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही है।   चुनाव परिणाम आने के बाद धामी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए भाजपा के पांच नवनिर्वाचित विधायकों ने सीट छोड़ने का ऐलान किया था।

इसमें भाजपा के चम्पावत विधायक कैलाश गहतोड़ी, लालकुआं विधायक डॉ. मोहन सिंह बिष्ट, जागेश्वर विधायक मोहन सिंह महरा, रुड़की के विधायक प्रदीप बत्रा और कपकोट से सुरेश गड़िया ने सीट छोड़ने की पेशकश की है। भाजपा विधायकों के अलावा खानपुर के निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने भी धामी के लिए सशर्त अपनी सीट छोड़ने का ऐलान किया था।

डीडीहाट,धामी के लिए सबसे मुफीद सीट मानी जा रही है। यह उनके पैतृक गांव वाली सीट है और यहां भाजपा लगातार जीतते आयी है। चंपावत खटीमा से लगी सीट है। इस लिहाज से यह सीट भी उनके लिए सुरक्षित मानी जा रही है। चंपावत से भाजपा विधायक कैलाश गहतोड़ी धामी के लिए सीट छोड़ने की पेशकश कर चुके हैं। 

बागेश्वर की कपकोट सीट से जीते सुरेश गड़िया भी सीट छोड़ने की बात कह चुके हैं। कपकोट पुष्कर धामी के राजनीतिक गुरु भगत सिंह कोश्यारी भी परंपरागत सीट रही है। रुड़की से भाजपा विधायक प्रदीप बत्रा ने कहा कि यह रुड़की और हम सब का सौभाग्य होगा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस सीट से चुनाव लड़ें।  खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा से जब इस संपर्क किया गया, तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। 

राज्य सभा के लिए उत्तराखंड कोटे की एक सीट इसी साल जुलाई में खाली हो रही है। भाजपा किसी विधायक को राज्य सभा भेजकर मुख्यमंत्री के उप चुनाव के लिए सीट का इंतजाम कर सकती है। चर्चाओं के मुताबिक, कुमाऊं की रामनगर, कालाढूंगी या फिर डीडीहाट ऐसी सीटें हो सकती है।

डीडीहाट के विधायक बिशन सिंह चुफाल, मुख्यमंत्री के गृहक्षेत्र से आते हैं। यदि चुफाल को राज्यसभा भेजा जाता है तो सियासी लिहाज से धामी के लिए यह सबसे मुफीद सीट हो सकती है।  रामनगर के विधायक दीवान सिंह बिष्ट और कालाढूंगी के विधायक बंशीधर भगत को भी राज्यसभा भेजकर धामी के उप चुनाव के लिए सीट का इंतजाम हो सकता है।

यह भी माना जा रहा है कि, जिस भी विधायक को राज्यसभा भेजा जाएगा, उसे केंद्र सरकार में बड़ी जिम्मेदारी भी मिल सकती है। हालांकि, भाजपा के कई विधायक धामी के लिए सीट खाली करने का ऐलान कर चुके हैं। लेकिन खटीमा से हुई धामी की हार के बाद पार्टी कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। 

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