– सहारनपुर से आशीष कुमार, शामली से डाक्टर अंजना सिंह, शाहजहांपुर से डाक्टर अभय रंजन व बाँदा से सुभाष सिंह शामिल हैं।
– यूपी खान निदेशक ने उक्त चारों पर सरकार की छवि ख़राब करने व अवैध खनन में संलिप्त होने के चलते कार्यवाही की हैं।
– बाँदा में 14 करोड़ रुपये रॉयल्टी पिछले वर्ष से घटी हैं।
– बाँदा में वर्ष 2019 को खान निदेशक रौशन जैकब ने तत्कालीन बुंदेलखंड प्रेमी खनिज अधिकारी शैलेंद्र सिंह को निलंबित किया था।
– खान अधिकारी सुभाष सिंह ने अपने कार्यकाल में बाँदा की नदियों में चौतरफा अवैध खनन व ओवरलोडिंग सहित केन पर अवैध पुल निर्माण पर मौन साधे रखा।
बाँदा। बुंदेलखंड में अंगद के पैरों की तरह जमे बैठे कुछ खनिज अधिकारी यहां से जाना ही नहीं चाहते है। मसलन महोबा के मौजूदा व बाँदा के तत्कालीन खान अधिकारी शैलेन्द्र सिंह। वहीं बाँदा के तैनात खनिज अधिकारी सुभाष सिंह की महिमा भी अद्भुत हैं। बाँदा स्थान्तरित होने के साथ ही इन पर आएदिन नदियों में मौरम ठेकेदार द्वारा अवैध पुल निर्माण में सहमति के आरोप लगते रहें है।
वहीं केन और बाघे नदी में प्रतिबंधित पोकलैंड मशीनों से अवैध खनन व ओवरलोडिंग की बात पर इन्होंने कभी गम्भीरता से त्वरित कार्यवाही नहीं की थी। मीडिया ने जब भी खनिज अधिकारी का पक्ष लेना चाहा तो तुरंत जवाब मिलता की डीएम साहेब से पूछ लीजिए।
वहीं पैलानी में तैनात मौजूद एसडीएम रामकुमार के साथ बराबरी की सांठगांठ से अवैध खनन का साम्राज्य आबाद रहा है। गौरतलब हैं कि बाँदा के पैलानी क्षेत्र में एसडीएम रामकुमार खदान माफियाराज के मुखबिर बनकर काम करते नजर आते रहें है।
वहीं नदियों में खुलेआम जलधारा बंधक बनाकर अवैध खनन करवाने की जुगत ने नदियों को बेजार व खोखला कर दिया है। आज मानसून अनियमित व बेहद कम है। इसका बड़ा कारण खनन कारोबार हैं।
बतलाते चले कि यूपी के खान निदेशक व कर्मठ आईएएस रौशन जैकब ने बाँदा से लगातार मिल रही शिकायत का संज्ञान लेकर बड़ी कार्यवाही की हैं। वहीं तीन अन्य खनिज अधिकारी को भी प्रदेश सरकार की छवि खराब करने के निलंबित किया है।
बाँदा से वार्षिक राजस्व भी इस वर्ष 14 करोड़ रुपये कम वसूली हो सकी हैं। इसका बड़ा कारण मौरम ठेकेदार को दिनरात खुली छूट देकर एनजीटी, कोर्ट व खनिज डीड और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जल/वायु सहमति से इतर अवैध खनन करवाने की रणनीति रही हैं।
खदान संचालक ने तहबाजारी को साधकर चौतरफा ओवरलोडिंग की वहीं शिकायत पर कार्यवाही ट्रांसपोर्ट ट्रक चालकों पर की गई। खनन करने वाले पट्टे धारक रुपयों की सेज पर सिस्टम को लिटाकर नदी को रौंदते रहे है। उल्लेखनीय हैं बाँदा में शैलेंद्र सिंह,जितेंद्र सिंह, सुभाष सिंह खनिज अधिकारी की तिकड़ी ने अवैध खनन के नए सोपान तय किये।
वहीं बुंदेलखंड के दूसरे जनपद में भी ओवरलोडिंग व अवैध खनन की कसर बांकी नहीं रखी गई हैं। बड़ी बात है बीते अप्रैल माह में मुख्यमंत्री को की गई शिकायत पर खान निदेशक ने टीम बनवाकर जांच की और 6 खदान ब्लैकलिस्ट की थी।
बावजूद इसके सुभाष सिंह व खान निरीक्षक जितेंद्र सिंह की नटवर लीला नदियों में शांत नहीं हो सकी। इधर आगामी सितंबर माह से पुनः वही खेल होना है जो इस सत्र में नदियों पर गुजरा हैं।
भ्रष्ट खनिज अधिकारी हुआ सम्मानित
उत्तरप्रदेश सरकार को खनिज मामले में चूना लगाने वाले बाँदा के तत्कालीन खनिज अधिकारी शैलेन्द्र सिंह को वर्ष 2019 में निलंबित होने के बावजूद सरकार के मंत्री व अफसर सम्मान दिए थे। निलंबन के बाद शैलेन्द्र सिंह भी मौजूदा सुभाष सिंह की तर्ज पर खनिज निदेशालय लखनऊ से सम्बद्ध किये गए थे। उधर निलबंन होने पर कार्यवाही के 23 दिन बाद ही शैलेन्द्र सिंह को अच्छे कार्य के लिए तत्कालीन खनिज मंत्री अर्चना पांडेय ने सम्मानित किया था। यह अलग बात है आज महोबा में तैनात यह खनिज अधिकारी लोकायुक्त की जांच में फंसे हैं।
बाँदा में खनिज न्यास निधि व खनिज विभाग के अंदरखाने में लोचा
सूत्रों से मिली जानकारी मुताबिक प्रदेश सरकार ने खनिज न्यास फाउंडेशन का गठन किया हैं। बाँदा में डीएम इसके अध्यक्ष हैं। वहीं किसी खनन प्रभावित गांव के विकास में खनिज न्यास निधि का रुपया माकूल तरीके से खर्च नहीं होता हैं। यह धन दूसरी मद में खर्च किया जाता हैं। वहीं खनिज विभाग के इनकम टैक्स, सेलटैक्स में बड़ा लोचा हैं जो जांच का विषय हैं।
खनिज विभाग बाँदा में संविदा कर्मी व दैनिक कर्मी नियुक्ति की पौ-बारह हैं। सूत्र बतलाते है कि बाँदा खनिज विभाग में दयाशंकर यादव, रियाज उल्ला, अजहर हुसैन की नियुक्ति व इनका वेतन आहरण भी जांच का विषय हैं।
वहीं खनिज क्षेत्रों में आवागमन के लिए खान निरीक्षक व खनिज अधिकारी के लिए लगे वाहनों की गतिविधियों में भी भ्रष्टाचार पनप रहा है। सूत्र कहते है यदि जांच हो तो यह विभाग भ्रस्टाचार का गढ़ साबित हो सकता हैं। सीबीआई या विजलेंस को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।
केन नदी में बनते रहे अवैध पुल सुभाष सिंह मौन
बाँदा की केन नदी में खदान संचालक गाहे बगाहे अवैध पुल बनाते रहे लेकिन एसडीएम पैलानी रामकुमार व खनिज अधिकारी सुभाष सिंह चुप रहे। शिकायत कर्ता को लटकाने के लिए सरकारी पत्रवाली से एक- दूसरे के ऊपर बात डालते रहे लेकिन अवैध पुल तोड़े नहीं गए।
बाँदा की केन नदी में बने सांडी खंड 60, नदी का तटबंध तोड़कर खपटिहा कला 100/1 व 100/3 और अतर्रा के महूटा क्षेत्र के बरकत पुर का अवैध पुल इसकी नजीर हैं। वहीं पैलानी का अवैध खनन और मरौली, कनवारा की ओवरलोडिंग से कौन परिचित नहीं हैं।
सवाल यह कि खनिज अधिकारी पर कार्यवाही से क्या इस कारोबार के अवैध खेल में संलिप्त अन्य अफसर पाकीजा हैं ? क्या यह संगठित अपराध नहीं था यह भी महत्वपूर्ण सवाल हैं जिसका उत्तर सरकार को देना चाहिए।