आरबीएसके टीमों को दी गई क्षय रोगियों की खोजने की जिम्मेदारी
उरई/जलौन,संवाददाता। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीमें अब क्षय रोगियों की भी खोज करेंगी। यह टीमें अपने-अपने में क्षेत्र में क्षय रोग से पीड़ित बच्चों की जांच कर उन्हें इलाज मुहैया कराने में मदद करेगी।
यह जानकारी जिला शीघ्र हस्तक्षेप मैनेजर (डीईआईसी) मैनेजर रवींद्र चैधरी ने दी। उन्होंने बताया कि अभी तक आरबीएसके की टीमें जन्मजात रोगों से पीड़ित बच्चों की स्क्रीनिंग कर इलाज मुहैया कराने में मदद करती थी।
अब शासन ने आरबीएसके टीमों की जिम्मेदारी बढ़ा दी है। अब आरबीएसके की टीमें क्षय रोग और कुष्ठ रोग से पीड़ित बच्चों की जांच कर उन्हें इलाज के लिए रेफर करने का काम करेगी। इसके लिए शासन से दिशा निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में जिले में सभी नौ ब्लॉकों में दो-दो टीमें कार्यरत है। प्रत्येक टीम में दो चिकित्सक, एक पैरामेडिकल स्टाफ व एक स्टाफ नर्स शामिल होता है। जो स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में जाकर बच्चों की जांच कर बीमार बच्चों का अलग अलग बीमारियों से पीड़ित बच्चों की स्क्रीनिंग की काम करती है।
जिसमें बच्चों के टेढ़े पांव, कम लंबाई, कटे होंठ व तालु, ह्दय संबंधी व कुपोषित बच्चों समेत 48 बीमारियों की स्क्रीनिंग का काम करती है। अब यह टीम क्षय और कुष्ठ रोग से पीड़ित बच्चों की जांच कर इलाज के काम करेगी।
एसीएमओ डॉ एसडी चैधरी बताते हैं कि आरबीएसके द्वारा अभी तक 48 बीमारियों के इलाज के लिए स्क्रीनिंग की जाती थी। अब दो बीमारियों को और जोड़ दिया गया है। अब बीमारियों का इलाज हो सकेगा।
उन्होंने बताया कि वैसे तो आरबीएसके की टीमें जिन मरीजों की खोज करती है, उनका इलाज मुफ्त कराया जाता है। जबकि क्षय रोग वाले मरीज को पांच सौ रुपये हर माह पोषण भत्ता दिया जाता है। यह भत्ता इलाज पूरा होने तक दिया जाता है।