कोविड-19 से लड़ने के लिए पीएमओ, राष्ट्रपति भवन, डीआरडीओ में स्थापित किया गया ‘ओकमिस्ट’ सैनिटाइजर डिस्पेंसिंग यूनिट
कोविड-19 से लड़ने के लिए डीआरडीओ एवं नोएडा स्थित रॉयट लैब्ज ने मिलकर एक ऑटोमैटिक मिस्ट आधारित सैनिटाइजर डिस्पेंसिंग यूनिट ‘ओकमिस्ट’ डेवलप किया है, जो पीएमओ, राष्ट्रपति भवन, डीआरडीओ से लेकर कई मंत्रालयों, अस्पतालों, आर्मी कार्यालय, सुप्रीम कोर्ट परिसर में स्थापित किया गया है और इसके अच्छे नतीजे भी मिल रहे हैं…
2016 में स्थापित रॉयट लैब्ज (ओक्टर स्मार्ट होम) एक ऐसा टेक स्टार्ट अप है, जो इंटरनेट कनेक्टेड स्मार्ट डिवाइसेज (रिमोट या एप से नियंत्रित होने वाले पंखे, एसी, टीवी आदि) के विकास में संलग्न रहा है। इसके बनाए स्मार्ट यूनिवर्सल रिमोट, स्मार्ट प्लग्स, स्मार्ट लॉक्स, स्मार्ट बॉक्स की काफी मांग है। कुछ समय पहले ही इसने आवाज से नियंत्रित होने वाले होम अप्लायेंसेज भी लॉन्च किए थे। लेकिन जब कोविड-19 ने दस्तक दी, तो कंपनी ने ऐसे प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू किया, जो इस महामारी के खिलाफ जंग में कारगर साबित हो।
घर में जुगाड़ से तैयार हुआ था प्रोटोटाइप
रॉयट लैब्ज के संस्थापक एवं सीईओ शिशिर गुप्ता बताते हैं, हमने डीआरडीओ के लैब सीएफईईएस के साथ पहले कुछ प्रोजेक्ट्स किए थे। अप्रैल महीने में जब सीएफईईएस की ओर से पहली बार एक सैनिटाइजर डिस्पेंसर यूनिट का डिजाइन आया और उसका प्रोटोटाइप डेवलप करने को कहा गया, तो हमारी टीम ने अपने-अपने घरों में रहते ही फौरन उस पर काम शुरू कर दिया।
घर में जो भी सामान या औजार (टीवी का इलेक्ट्रॉनिक पीसीबी, पुराने एक्वेरियम से निकाले गए पंप आदि) उपलब्ध था, उससे हमने एक प्रोटोटाइप विकसित किया। इस तरह, डीआरडीओ एवं रायट लैब्ज की संयुक्त कोशिशों से यह डिस्पेंसर ओकमिस्ट तैयार हो सका।
बिना स्पर्श के संचालित हो सकता ‘ओकमिस्ट’
कह सकते हैं कि ‘ओकमिस्ट’ आज के समय की जरूरत है, जो डीआरडीओ की सीएफईईएस लैब द्वारा विकसित मिस्ट एरेटेर टेक्नोलॉजी पर आधारित है। शिशिर के अनुसार, इस सैनिटाइजर को अल्ट्रासोनिक सेंसर के जरिए एक्टिव कर सकते हैं यानी इसे बिना स्पर्श किए संचालित किया जा सकता है। यह तकनीक रॉयट लैब में डेवलप की गई है।
फिलहाल, इस डिस्पेंसिंग यूनिट का निर्माण नोएडा स्थित फैक्ट्री में किया जा रहा है। इसके अलावा, इस डिवाइस को डीआरडीओ के दफ्तर, राष्ट्रपति भवन, पीएमओ, सुप्रीम कोर्ट, गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, आर्मी कार्यालय, सरकारी अस्पतालों, एमबिएंस मॉल के अलावा कई अन्य स्थानों पर इंस्टॉल भी किया जा चुका है। महामारी से लड़ने के लिए डीआरडीओ द्वारा डिजाइन किया गया यह सबसे कामयाब प्रोजेक्ट है।
एआइ एवं आइओटी की बढ़ी मांग
इस महामारी ने बहुत कुछ सिखाया है। टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से चुनौतियों से लड़ना आसान हुआ है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑटोमेशन एवं आइओटी के विकास से कई अकल्पनीय चीजें संभव हो सकी हैं। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र से लेकर आम नागरिक तक आइओटी टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर रहे हैं। लोगों को जागरूक कर रहे हैं कि वे मास्क के बिना बाहर न निकलें।
ड्रोन की मदद से एक निश्चित दूरी से ताप लेना संभव हो सका है। शिशिर की मानें, तो आने वाले समय में एआइ आधारित ऑटोमेशन का सकारात्मक प्रयोग और बढ़ेगा। होटल, ऑफिसेज में सुरक्षा के मद्देनजर टच फ्री डिवाइसेज की मांग बढ़ेगी। आम लोग भी डिशवॉशर एवं ऑटोमेटिक फ्लोर क्लीनर्स को प्राथमिकता देंगे। यूं कहें कि ऑटोमेशन एवं आइओटी नया सामान्य होगा।
मुश्किल है दौर, लेकिन हौसला बरकरार
मौजूदा दौर में न सिर्फ स्टार्ट अप्स के लिए एक युद्ध समान स्थिति बनी है, बल्कि जो स्थापित कंपनियां हैं, उन पर काफी असर हुआ है। शिशिर ने अपने एक दोस्त का ताजा उदाहरण देते हुए बताया कि वे एक कॉस्मेटिक्स कंपनी चलाते हैं। मजाक में अक्सर ही कहा करते थे कि काश ऐसा भी दिन आए, जब वे लक्मे के रेवेन्यू के करीब पहुंच सके। वह ख्वाहिश इस महामारी ने पूरी कर दी। अप्रैल महीने में दोनों ही कंपनियों का रेवेन्यू शून्य रहा।
लेकिन मैं मानता हूं कि स्टार्ट अप्स का लचीला रवैया उनकी शक्ति है। कठिन समय आया है, लेकिन हम सभी फिर से अपनी रौ में लौटेंगे। जैसे नोटबंदी के दौरान भी हमने एक मुश्किल समय देखा था। कारोबार में कई प्रकार की दिक्कतें आईं थीं। लेकिन उसने बेहतर कारोबारी एवं इंसान बनने के लिए प्रेरित किया था। इस दौर ने भी एक सीख दी है कि आगे हम कोई भी नई चीज डेवलप करने से पहले वह करेंगे, जिसकी मार्केट को पहले जरूरत होगी, जिससे किसी समस्या का त्वरित समाधान निकलता हो।