ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथम द्वितीय ने अपने देश के लोगों को संबोधित किया
क्या अब कोरोना महामारी का डर खत्म हो रहा है. ये सवाल इसलिए है कि अब कमोबेश हर एक देश ने अपने-अपने यहां लॉकडाउन में ढील देनी शुरू कर दी है। इसका ताजा उदाहरण है ब्रिटेन, जहां अब तक कोरोना के कुल 2,76,332 केस सामने आ चुके हैं और 39,045 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके बाद भी 94 साल की ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ सेकेंड ने देश के लोगों को संबोधित किया।
कहा कि इस महामारी के खिलाफ युद्ध में हम सफल होंगे। लेकिन सिर्फ बातों से लोगों को हौसला नहीं होता। तो लोगों की हौसलाअफजाई के लिए महारानी घोड़े पर सवार हुईं और 94 साल की उम्र में अपने लॉन में घुड़सवारी की।
ये तस्वीर दुनिया के सामने आई, जिसने ब्रिटेन के लोगों को हौसला दिया कि अब स्थितियां बेहतर हैं. लेकिन क्या सच में ऐसा है. आंकड़े बताते हैं कि ब्रिटेन ने कोरोना पर पूरी तरह से तो काबू नहीं पाया है, लेकिन अब स्थितियां नियंत्रण में हैं।
आज से ठीक दो महीने पहले एक अप्रैल को ब्रिटेन में कुल 4324 नए केस दर्ज हुए थे. 10 अप्रैल को आंकड़ा अपने पीक पर था और कुल 8681 नए मामले 24 घंटे के अंदर सामने आए थे।
लेकिन उसके बाद से आंकड़ों की रफ्तार थोड़ी थमती दिखी। 1 मई को ब्रिटेन में 24 घंटे के अंदर 6201 नए केस सामने आए. और इसके ठीक एक महीने बाद 1 जून को 24 घंटे के अंदर नए संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 1570 पर पहुंच गया. वहीं पिछले 24 घंटे के अंदर ब्रिटेन में कोरोना की वजह से कुल 111 लोगों की मौत हुई।
ब्रिटेन के लिए ये आंकड़े संतोषजनक हैं। जब से कोरोना ने अपने पांव तेजी से पसारने शुरू किए हैं, तब से लेकर अब तक में मई का आखिरी हफ्ता ब्रिटेन के लिए राहत की खबर लेकर आया है, क्योंकि इस दौरान वहां पर हर रोज रिकॉर्ड होने वाले नए केस और हर रोज होने वाली मौतों के आंकड़े में कमी आई है।
और यही वजह है कि ब्रिटिश सरकार अब इस बात की पैरवी में लगी है कि देश को हमेशा के लिए लॉकडाउन में नहीं रखा जा सकता. इसलिए अब धीरे-धीरे करके लॉकडाउन को खत्म किया जाएगा।
1 जून ब्रिटेन की वो तारीख थी, जब वहां पर पिछले दो महीने से बंद पड़े स्कूलों को खोलने की शुरुआत हो गई है। लॉकडाउन को धीरे-धीरे करके खत्म किया जा रहा है ताकि ज़िंदगी पटरी पर लौट सके। हालांकि सरकार अब भी कोरोना से लड़ने के लिए काम कर रही है और इसके लिए ट्रैक, ट्रेस और आइसोलेट कार्यक्रम चला रही है।
कुछ वैज्ञानिक और डॉक्टर ब्रिटिश सरकार के इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं तो कुछ लोग सरकार के इस फैसले का बचाव कर रहे हैं. आलोचना करने वालों का तर्क है कि कोरोना खत्म नहीं हुआ तो लॉकडाउन क्यों हटा।
अगर ये बढ़ा तो फिर कंट्रोल कैसे होगा, वहीं सरकार का तर्क है कि अब स्थानीय स्तर पर ट्रेसिंग की जाएगी और कंट्रोल किया जाएगा, क्योंकि अब लंबे वक्त तक लॉकडाउन में रहना संभव नहीं है. कुल मिलाकर अब ब्रिटेन पटरी पर लौटना चाहता है. लेकिन इसके लिए उसने एक बड़ी कीमत अदा की है. सबसे बड़ी कीमत तो जान की है. और इस कोरोना ने आधिकारिक तौर पर 39,045 लोगों की जान ली है।
कुल 276332 लोगों को बीमार किया है और ये आंकड़ा अब भी बढ़ ही रहा है. लेकिन ब्रिटेन को और भी कीमत अदा करनी पड़ी है. कोरोना की वजह से ब्रिटेन को अपने पिछले 300 साल में सबसे बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है। ब्रिटेन के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस कोरोना की वजह से ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में करीब 13 फीसदी की गिरावट आ सकती है. इतना ही नहीं, कोरोना की वजह से ब्रिटेन में बेरोजगारी की दर करीब 10 फीसदी तक पहुंच गई है।
ब्रिटेन के ऑफिस फॉर बजट रिस्पॉन्सिबिलिटी का अनुमान है कि साल 2020-21 के लिए ब्रिटेन का बजट घाटा 342 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है, जो अनुमान से पांच गुना ज्यादा है। ये ब्रिटेन की कुल जीडीपी का करीब 14 फीसदी है। साल 2008 में जब वैश्विक मंदी आई थी, तब भी ब्रिटेन को इतना नुकसान नहीं उठाना प़ड़ा था. तब भी ब्रिटेन का बजट घाटा उसके कुल जीडीपी के करीब 10 फीसदी के ही बराबर था।
लेकिन अब हालात और खराब हैं. ऑफिस फॉर बजट रिस्पॉन्सिबिलिटी का अनुमान है कि साल 2020-21 में सरकारी कंपनियों का कुल घाटा देश की कुल जीडीपी के बराबर पहुंच जाएगा. हालांकि कोरोना से पहले अनुमान ये था कि ब्रिटेन की सरकारी कंपनियों का कुल घाटा देश की जीडीपी के 77 फीसदी के आसपास रहेगा।