गुजरात ही नहीं, भारत की इन 6 जगहों पर भी आकर देख सकते हैं मकर संक्रांति की धूम
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मकर संक्रांति पहला प्रमुख हिंदू त्योहार है, जिसे भारत के कई हिस्सों में बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। यह पवित्र त्योहार वसंत के आगमन का भी प्रतीक है। जहां मकर संक्रांति का सांस्कृतिक महत्व भौगोलिक रूप से भिन्न होता है, वहीं इसका उत्साह सभी जगहों पर लगभग एक समान ही रहता है। वैसे तो मकर संक्राति की सबसे ज्यादा धूम गुजरात में देखने को मिलती है लेकिन इसके अलावा और भी दूसरी जगहें हैं जहां आकर इस फेस्टिवल की रौनक देखने के साथ ही घूमने-फिरने का भी आनंद लिया जा सकता है। जानेंगे इन जगहों के बारे में…
अहमदाबाद, गुजरात
मकर संक्रांति को अहमदाबाद में उत्तरायण के तौर पर जाना जाता है। यह त्योहार दो दिनों तक मनाया जाता है, अर्थात् 14 जनवरी (उत्तरायण) और 15 जनवरी (वासी-उत्तरायण)। इस त्योहार का खास आकर्षण है पतंगबाजी प्रतियोगिता। इसमें लोगों की भीड़ सड़कों पर और छतों पर इकट्ठा होती है और हल्के वजन के कागज और बांस से बनी पतंग उड़ाती है। जब किसी भी पतंग को काटा जाता है, तो “कायपो छे”, “लैपेट लेपेट”, “ई लैपेट” आदि शब्दों को सुनकर चौंक न जाएं क्योंकि ये पतंगबाजी की रौनक को बनाए रखने का काम करते हैं। सूर्यास्त के बाद उंदियू और चिक्की जैसे गुजराती पकवानों का स्वाद लना न भूलें।
हैदराबाद, आंध्र प्रदेश
दक्षिण भारतीय राज्य की राजधानी हैदराबाद में मकर संक्रांति तीन दिन तक मनाया जाता है। त्योहार के पहले दिन को भोगी कहते हैं। परंपराओं के अनुसार,‘भोगी मंटा’ या एक अलाव सुबह जलाया जाता है और लोग एक नई शुरुआत को चिह्नित करने के लिए पुराने कपड़े और फर्नीचर का त्याग करते हैं। इसके बाद, परिवार के सदस्यों को बुरी नज़र से बचाने के लिए ‘रेगी पांडु’ फल से स्नान कराया जाता है। दूसरे दिन संक्रांति होती है। लोग केले के पत्तों पर अपने पूर्वजों को पारंपरिक पकवानों का भोग लगाते हैं। त्योहार का तीसरा दिन ‘कानुमा’है। इस दिन हैदराबादी पशुधन की पूजा करते हैं और फिर चकलीलु, अरिसेलु और अप्पालु जैसे व्यंजनों पर दावत देते हैं। इसके अलावा, मकर संक्रांति के दौरान पतंगबाजी उत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों लोग भाग लेते हैं।
हरिद्वार, उत्तराखंड
हरिद्वार पर्यटकों का एक पसंदीदा स्थल है, जहां लोग बड़ी संख्या में मकर संक्रांति समारोह का अनुभव लेने जाते हैं। इस दिन पवित्र गंगा नदी में स्नान शुभ माना जाता है। इस वजह से आपने अक्सर मकर संक्रांति पर अनगिनत तीर्थयात्रियों को पवित्र नदी गंगा में डुबकी लगाते हुए देखा भी होगा। नदी के किनारे आमतौर पर पूरे दिन लोगों की भीड़ रहती है, जो सूर्य को प्रार्थना और तर्पण करते हैं। यदि आप संक्रांति के दौरान यहां हैं, तो गंगा आरती की भव्यता को देखना मत भूलना। आप स्थानीय उत्तरायणी मेलों में भी जा सकते हैं, जहां आपको विभिन्न प्रकार के आइटम जैसे बांस से बनी वस्तुएं, टोकरियां, लोहे के बर्तन, चटाई, कालीन आदि मिलेंगे। आप चमकीले, रंगीन कपड़ों में लोक कलाकारों के प्रदर्शन का आनंद भी ले सकते हैं।
गुवाहाटी, असम
गुवाहाटी में माघ महीने में कटाई का मौसम खत्म होने के त्यौहार के तौर पर मकर संक्रांति को माघ बीहू या भोगली बीहू के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व और जश्न का दिन है, जिसमें स्थानीय लोग पारंपरिक परिधानों में तैयार होते हैं। समारोहों में ’मेजी’ बनाना(बांस, पत्तों और थैच से बनी झोपड़ियों), बोनफायर और पारंपरिक असमिया खेलों जैसे टेकी भोंगा (मिट्टी के बर्तन तोड़ने) और भैसों में लड़ाई करवाना शामिल हैं। खानपान के शौकीनों के लिए महिलाएं चावल, दूध, गुड़, कसा हुआ नारियल और तिल से एक विशेष मिठाई तैयार करती हैं। रात मेंआप अलाव के चारों ओर जुट सकते हैं और असम के कुछ प्रामाणिक व्यंजनों का स्वाद चख सकते हैं।कोलकाता, पश्चिम बंगाल
कोलकाता में भी मकर संक्रांति समारोह भव्य तौर पर मनाया जाता है। त्योहार को यहां ‘पौष पर्बो’ के रूप में जाना जाता है। दिन की शुरुआत देवी लक्ष्मी की पूजा से होती है क्योंकि किसान उन्हें अच्छी फसल के लिए धन्यवाद देते हैं। लोग चावल के आटे, नारियल, दूध और ताड़ के गुड़ से बनी ‘पीठा’ या मिठाई भी बनाते हैं। इसके अलावा आप प्रसिद्ध गंगा सागर मेले का हिस्सा बन सकते हैं, जो देश में तीर्थयात्रियों की दूसरा सबसे बड़ा आयोजन है (कुंभ मेले के बाद)। इसमें भाग लेने वाले गंगा नदी में पवित्र स्नान करते हैं और पापों को धोने के लिए कपिल मुनि आश्रम में पूजा करते हैं।
अमृतसर, पंजाब
मकर संक्रांति अमृतसर और बाकी पंजाब में ‘लोहड़ी’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग खास तौर से किसान पारंपरिक कपड़े दान करते हैं, अलाव जलाते हैं और लोक गीतों को गुनगुनाते हुए आग में तर्पण करते हैं। इसके अलावा स्थानीय लोग ढोल की थाप के साथ भांगड़ा और गिद्दा नृत्य करते हैं। लोग त्योहारों की परंपराओं के तहत खीर, खिचड़ी और गुड़ भी का लुत्फ भी उठाते हैं।