भाजपा का किला बरकरार रहेगा या सेंधमारी में सफल होगी कांग्रेस, कल होगा फैसला

 प्रदेश में नगर निकायों में भाजपा का किला बरकरार रहेगा या कांग्रेस की सेंधमारी की कोशिश सफल होगी, इसे लेकर नजरें अब शनिवार को चुनाव परिणाम की घोषणा पर टिक गई हैं।

गुरुवार को निकाय चुनाव में राजनीतिक दलों और उनके प्रत्याशियों के साथ ही निर्दलों का भाग्य मतपेटियों में बंद हो गया। निकाय चुनाव में लगभग 66 प्रतिशत मतदान होने की सूचना के बाद दोनों ही दलों की बेचैनी बढ़ गई है। मुख्य मुकाबले में आमने-सामने रहे इन दोनों ही दलों के बड़े नेताओं के साथ ही प्रदेश संगठनों के लिए ये चुनाव परीक्षा से कम नहीं हैं।

दोनों ही दलों ने झोंकी शक्ति

प्रदेश में नगर निकाय चुनाव में भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही दलों ने शक्ति झोंकी है। उनके दिग्गज नेताओं ने चुनाव प्रचार का मोर्चा संभाला। भाजपा 93 निकायों में महापौर समेत प्रमुखों के पद पर चुनाव लड़ रही है। निकायों में दबदबा बरकरार रखने के लिए भाजपा की ओर से चुनाव प्रचार की कमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी संभाले रहे हैं।

मुख्यमंत्री के साथ ही राज्य मंत्रिमंडल के सदस्यों, भाजपा के विधायकों, सभी पांच सांसदों के साथ ही केंद्रीय राज्यमंत्री अजय टम्टा के लिए भी निकायों में पार्टी का प्रदर्शन किसी चुनौती से कम रहने वाला नहीं है। कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश की सभी पांचों लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की है।

नगर निकाय चुनाव में शहरी क्षेत्रों में भाजपा का जनाधार बरकरार रहा, इसमें वृद्धि या कमी आई, चुनाव परिणाम से यह भी पता चल सकेगा। इस दृष्टि से पार्टी के प्रदेश संगठन के साथ इन तमाम नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। यह अलग बात है कि निकाय चुनाव में सत्ताधारी दल हमेशा लाभ की स्थिति में माना जाता है।

कांग्रेस ने कसर नहीं छोड़ी

उधर, प्रदेश में शहरों की बदहाली, जगह-जगह खुदाई से टूटी सड़कों, पेयजल आपूर्ति और सीवरेज की अधूरी व्यवस्था को मुद्दा बनाने में कांग्रेस ने कसर नहीं छोड़ी। निकायों में एंटी इनकंबेंसी को उभारकर शहरी मतदाताओं के दिल में दस्तक देने की पार्टी की कोशिशों को किस सीमा तक सफलता मिली, इसका पता चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चल पाएगा। साथ ही सत्ताधारी दल भाजपा के कब्जे से निकायों को छीनने के लिए तैयार की गई कांग्रेस की व्यूह रचना की भी परीक्षा होने जा रही है।

कांग्रेस ने 90 निकायों के प्रमुखों के लिए कांग्रेस ने प्रत्याशी उतारे। इनमें सभी 11 नगर निगमों में महापौर के पद भी सम्मिलित हैं। निकायों में भाजपा के दबदबे को तोड़ने के लिए कांग्रेस और उसके प्रत्याशियों ने पसीना बहाया है।

अंतिम दिनों में पार्टी ने अपने चुनाव प्रचार अभियान को निकायों में जन समस्याओं पर अधिक केंद्रित किया। पार्टी के स्टार प्रचारक और वरिष्ठ नेताओं ने अंतिम समय तक एंटी इनकंबेंसी पर दांव खेला। शहरी मतदाताओं पर यह दांव प्रभावी रहा या नहीं, इसका पता चुनाव परिणाम घोषित होने पर ही पता चल सकेगा।

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