दुष्कर्म के आरोप में मां-बेटी ने तीन लोगों को कराया गिरफ्तार, सच आया सामने
कलकत्ता हाई कोर्ट में हाल ही में एक चिंताजनक मामला सामने आया है। यहां एक महिला ने स्वीकार किया है कि उसने राजनीतिक दबाव में आकर तीन लोगों के खिलाफ अपनी बेटी के साथ बलात्कार का आरोप लगाते हुए झूठा मामला दर्ज कराया था। अदालत ने पाया कि बलात्कार के झूठे मामले में तीन लोग लगभग एक साल जेल में बिता चुके हैं। महिला ने बताया कि अपनी गरीबी और स्थानीय राजनेताओं के दबाव के बाद उसने मामला दर्ज कराया था। नेताओं ने उसके परिवार की मदद करने का वादा किया था। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, “क्या किसी की गरीबी एक निर्दोष व्यक्ति के खिलाफ झूठे आरोप लगाने का अच्छा आधार हो सकती है?” जस्टिस अरिजीत बनर्जी और जस्टिस अपूर्व सिन्हा रे की पीठ ने ट्रायल कोर्ट को तीनों आरोपियों के खिलाफ मामला बंद करने का निर्देश दिया है।
हाई कोर्ट ने निचली अदालत को महिला और उसकी बेटी के खिलाफ जांच करने का भी आदेश दिया। कोर्ट ने जांच करने के आदेश दिए हैं कि क्या झूठी शिकायत दर्ज कराने और झूठे सबूत बनाने के लिए महिला पर भी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। कोर्ट ने 24 सितंबर के अपने आदेश में कहा, “इस केस की वजह से तीन निर्दोष व्यक्ति ने लगभग एक साल जेल में बिताया है और इसलिए इसकी भी जांच होनी चाहिए। जांच के बाद अगर कोर्ट को लगता है कि महिला और उसकी बेटी IPC की धारा 192 के तहत झूठे साक्ष्य गढ़ने के लिए जिम्मेदार हैं तो वह उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करेंगे।”
महिला ने मांगी माफ़ी
गौरतलब है कि महिला ने दावा किया था कि तीनों पुरुषों ने उसकी नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार किया था। आरोपियों पर बलात्कार और पोस्को एक्ट के तहत यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया गया था। आरोपी लगभग एक साल से न्यायिक हिरासत में थे। हालांकि बाद में महिला ने माना कि यह झूठा मामला था। हाईकोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया और महिला से पूछा कि झूठा मामला दर्ज कराने के लिए उस पर मुकदमा क्यों नहीं चलाया जाना चाहिए। इसके बाद महिला ने बिना शर्त माफ़ी मांगी है।
स्थानीय नेताओं के दबाव में उठाया कदम
महिला ने बताया कि स्थानीय नेताओं के दबाव में झूठी शिकायत की गई थी। उसने कहा कि उसके पति रीढ़ की हड्डी टूटने के कारण 2017 से बिस्तर पर हैं और उनकी आय बहुत सीमित है। उन्होंने कहा कि वे विभिन्न सामाजिक योजनाओं से राज्य सरकार से मिलने वाली सहायता कर निर्भर है। उसने बताया कि जुलाई 2023 में कुछ स्थानीय नेताओं ने झूठी कहानी गढ़ने के लिए उनसे संपर्क किया। कोर्ट को बताया गया कि इन नेताओं ने सत्ताधारी पार्टी से अपना समर्थन बदलकर विपक्ष की ओर रुख कर लिया और वादा किया कि अगर महिला ने झूठा मामला दर्ज कराया तो उसके परिवार को और अधिक सामाजिक योजनाओं में शामिल किया जाएगा और अधिक वित्तीय सहायता दी जाएगी।