चीन बॉर्डर पर 10 दिन से 65 किमी 6 जगह से बंद, भूस्खलन के बाद बदरीनाथ हाईवे पर भी ट्रैफिक ठप
मॉनसून में बरसात आफत बनती जा रही है। कभी भूस्खलन तो कभी पहाड़ों से सड़कों पर बोल्डर गिरने से रास्ते बंद हो रहे हैं। सड़कों के बंद होने से लोगों की परेशानी भी बढ़ रहीं हैं। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में चीन बॉर्डर पर दारमा घाटी के 14 गांवों के लोगों का 10 दिन से अधिक समय से देश के अन्य हिस्सों से सड़क संपर्क कटा हुआ है।
इससे वहां गए कई स्कूली बच्चों को वापस घाटी के गांवों में आने में मुश्किल हो रही है। दूसरी ओर, बारिश के बाद भूस्खलन से बदरीनाथ हाईवे पर यातायात भी बंद हो गया है। हाईवे और सड़कें बंद होने से यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है।
तवाघाट दारमा सड़क पिछले 10 दिनों से अधिक समय से पूरी तरह से बंद है। लोगों ने बताया 65 किमी यह सड़क 6 जगह बंद है। दर में भूस्खलन होने के कारण इस सड़क को खोलना बीआरओ के लिए चुनौती बन गया है।
सड़क बंद होने से सेला, चल, नागलिंग, बालिंग, दुग्तू, तिदांग, फिलम, बौन, गो, मार्छा, दांतू, ढांकर,सीपू के साथ ही दारमा के माइग्रेशन गांवों के लोगों के लिए तहसील मुख्यालय धारचूला तक आना कठिन हो गया है। गांवों में पूजा के लिए गए लोग और स्कूली बच्चे सड़क बंद होने से मुश्किल में हैं।
कई बंद सड़क के बीच जान खतरे में डाल आवाजाही कर रहे हैं। बालिंग के उप प्रधान दिनेश सिंह बंग्याल ने बताया कि 60 से अधिक लोग इन गांवों में ऐसे हैं जिन्हें अपने काम से तहसील मुख्यालय आना है, लेकिन वे बंद सड़क के कारण नहीं आ पा रहे हैं।
65 किमी सड़क छह जगह बंद
चीन सीमा से सटे दारमा के माइग्रेशन गांवों में गए लोगों की दिक्कत बंद सड़क ने बढ़ा दी है। यह सड़क नागलिंग से सेला के बीच कई जगह बंद है। लगातार बारिश के बाद अब भी मलबा आ रहा है। ऐसे में सड़क जल्दी नहीं खोली गई तो सीमांत के इन गांवों के लोगों को दूसरी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ेगा। इधर बीआरओ के कर्मी इस सड़क को खोलने में जुटे हुए हैं। खराब मौसम व भूस्खलन के कारण कई जगह उन्हें चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।