तीन लाख लीटर पानी पी गई जंगलों की आग, अल्मोड़ा में 4 वन कर्मियों की जिंदा जलकर हुई थी मौत 

फायर सीजन वनाग्नि की घटनाओं के लिए याद रखा जाएगा। इस साल जिले भर के जंगल धू-धू कर जले हैं। हालात यह रहे कि जंगल की आग बुझाने में तीन लाख लीटर पानी खर्च करना पड़ा। इस सीजन में अग्निशमन विभाग ने आग की घटनाएं रोकने में अहम जिम्मेदारी निभाई। जंगल की आग को शांत करने में अधिकांश मौकों पर अग्निशमन विभाग की टीम पहुंची।

वनाग्नि को शांत किया। विभागीय जानकारी के मुताबिक इस साल अग्निशमन विभाग को जंगल में आग लगने की 154 सूचनाएं मिलीं। इसके अलावा आग लगने के 12 अन्य मामले सामने आए। इन घटनाओं में आग बुझाने में अग्निशमन विभाग को तीन लाख लीटर पानी खर्च करना पड़ा। फायर सीजन में ही 132 वनाग्नि की घटनाएं हुईं।

इन्ही में दो लाख 81 हजार लीटर पानी आग बुझाने में लग गया। विभाग की ओर से आग बुझाने के लिए 128 टैंकर पानी का सहारा लेना पड़ा। इनमें दो हजार और 2400 लीटर के टैंकर शामिल रहे। अग्निशमन विभाग की त्वरित कार्रवाई के चलते कई जंगलों की वन संपदा को नुकसान से बचाया जा सका।

कई बार खतरे से खेले फायर कर्मी 

इस सीजन कई घटनाओं में जंगल की आग रिहायशी इलाकों तक पहुंच गई थी। इससे जान-माल के लिए खतरा पैदा हो गया था। फायर कर्मियों ने बिना समय गवाए मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाया। इससे जान माल का नुकसान होने से बचाया जा सका। कुछ मामलों में पानी की पहुंच से दूर वाले जंगलों को विभागीय कर्मियों ने टहनियों से काबू पाया।

महिला फायर कर्मी भी शामिल 

इस सीजन जंगल की आग बुझाने में महिला फायर कर्मियों की भागीदारी भी अहम रही। हर घटनाओं में वह आग बुझाने में नजर आईं। यहां तक कि रात के समय में भी उन्होंने आग बुझाने का काम किया। महिला फायर कर्मियों के योगदान की भी सराहना की जा रही है।

जंगल जले तो आबादी में आने लगे गुलदार

रानीखेत। क्षेत्र में गुलदार का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। ताड़ीखेत विकासखंड के कई गांवों में गुलदार अब आबादी तक पहुंचने लगे हैं। जिसके चलते ग्रामीणों को खतरा बढ़ने लगा है। अब तक गुलदार कई मवेशियों को निवाला बना चुका है।

इन दिनों अम्याड़ी, कारचूली, विशुवा, बजोल, बमस्यूं, बजीना आदि गांवों में खासा आतंक मचा हुआ है। अधिकांश जंगल आग की भेंट चढ़ चुके हैं। जिस कारण वन्य जीव अब आबादी की तरफ रुख करने लगे हैं और ग्रामीणों के मवेशियों को निवाला बना रहे हैं।

इस सीजन फायर कर्मियों ने जगलों की आग बुझाने के लिए कठिन परिश्रम किया है। जहां से भी आग लगने की सूचना मिली, वहां पहुंचकर आग पर काबू पाया। इसमें महिला फायर कर्मियों की भागीदारी भी अहम रही। 

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